वाराणसी : आकर्षक झांकियों के साथ धूमधाम से निकली लाटभैरव समिति की नक्कटैया शोभायात्रा
विशेश्वरगंज से कतुआपुरा, अंबिया मंडी, हनुमान फाटक, तेलियाना, जलालीपुरा होते हुए सरैया लीला स्थल पहुंची
सूर्पणखा की नाक काटने की लीला के बाद निकली शोभायात्रा, झांकियों और विभिन्न पात्रों के जीवंत अभिनय ने लोगों को किया आकर्षित
वाराणसी, भदैनी मिरर। श्री आदि लाट भैरव रामलीला समिति, वरुणा संगम काशी की ओर से नवरात्र में आयोजित परंपरागत नक्कटैया शोभायात्रा शनिवार को भव्यता और उत्साह के साथ निकाली गई। यह शोभायात्रा विशेश्वरगंज से चलकर कतुआपुरा, अंबिया मंडी, हनुमान फाटक, तेलियाना, जलालीपुरा होते हुए सरैया स्थित लीला स्थल पहुंची जहां समापन हुआ। शोभायात्रा में शामिल आकर्षक झांकियों ने लोगों को लुभाया। लीला और शोभायात्रा देखने के लिए लोगों की भीड़ जुटी रही।
समिति का कहना है कि यह आयोजन 580 वर्षों से आयोजित किया जा रहा है। वाराणसी की रामलीला परंपराओं में इसका विशेष महत्व है। कतुआपुरा से हनुमान फाटक तक की यात्रा के दौरान भारी संख्या में श्रद्धालु और दर्शक उमड़े। शोभायात्रा में शामिल झांकियों और विभिन्न पात्रों के जीवंत अभिनय ने लोगों को आकर्षित किया। नक्कटैया की झांकियों में दैत्यों का भयावह रूप बेहद आकर्षक और रोमांचक रहा। उनकी हाहाकारी हंसी, मायावी रूप, कैंडल लाइट में पंख फड़फड़ाते कबूतर पर बैठे राक्षस, उसके आर-पार धंसी कटार से टपकता खून और बच्चों के नरमुंड जैसे दृश्य लोगों को दहला देने वाले रहे। शूर्पणखा और उसकी आसुरी सेना के साथ मां दुर्गा और काली के मुखौटे व परिधानों में सजे सैकड़ों गण शोभायात्रा के साथ चल रहे थे।
झांकियों पर सवार कलाकारों ने तलवारों से अनोखे करतब दिखाए, वहीं मां काली के तांडव ने सबका ध्यान खींचा। इस दौरान शहर की गलियां और सड़कें रंग-बिरंगी झालरों, टिमटिमाती रोशनी और मेले की चहल-पहल से सराबोर रहीं। कहीं झूले और चरखी लगे थे तो कहीं खिलौनों और मिठाइयों की दुकानें। रात ढलने के साथ मेले की रौनक चरम पर पहुंच गई और श्रद्धालु उत्साह के साथ शोभायात्रा का आनंद लेते रहे। इससे पूर्व रात 12 बजे कतुआपुरा चौराहे पर नक्कटैया की प्रमुख लीला का मंचन हुआ। इसमे भगवान लक्ष्मण ने शूर्पणखा की नाक काटी। इसी लीला के बाद परंपरागत पूजन संपन्न हुआ। समिति के व्यास दयाशंकर त्रिपाठी (दया गुरुजी) ने पूजन-अर्चन के बाद शोभायात्रा की शुरुआत की।