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वाराणसीः बगैर सूचना के झारखंड के मोस्टवांटेड नक्सली का इलाज करनेवाले अस्पताल के खिलाफ होगी कार्रवाई

मुठभेड़ में गोली से घायल होने के बाद नक्सली अखिलेश यादव का किया जा रहा था इलाज

 

झारखंड पुलिस ने अस्पताल में डेरा डाला, ट्रांजिट रिमांड पर नक्सली को ले जायेगी अपने साथ

17 मई को सुरक्षा बलों से मुठभेड़ में हुआ था अखिलेश यादव 

वाराणसी, भदैनी मिरर। बिना पुलिस को सूचना दिये झारखंड में सुरक्षा बलों से मुठभेड़ में घायल नक्सली 38 वर्षीय अखिलेश यादव उर्फ बुट्टन उर्फ गौतमजी यादव का इलाज करने के मामले में अब निजी अस्पताल पर कार्रवाई होने जा रही है। एसीपी भेलूपुर डा. ईशान सोनी ने बताया कि झारखंड पुलिस से सूचना मिली थी कि मुठभेड़ में घायल होने के बाद फरार नक्सली अखिलेश यादव लंका थाना क्षेत्र के नरिया मोहल्ले में स्थित साईं मेडिसिटी अस्पताल में गुपचुप ढंग से इलाज करा रहा है। इसके बाद उसे पुलिस हिरासत में ले लिया गया है। झारखंड और लंका पुलिस के मजबूत सुरक्षा घेरे में उसका इलाज हो रहा है। अखिलेश यादव उर्फ गौतम पर पलामू और चतरा जिलों में नक्सली गतिविधियों से संबंधित दर्जनों मामले दर्ज हैं। 

अस्पताल ने पुलिस को नही भेजा था मेडिको लीगल

डा. ईशान सोनी ने बताया कि निजी अस्पताल की ओर से कोई मेडिको लीगल पुलिस को नही भेजा गया। इस मामले में कार्रवाई के लिए सीएमओ को पत्र भेजा गया है। इसके अलावा पुलिस उस अस्पताल के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर रही है। अब झारखंड पुलिस ट्रांजिट रिमांड पर उसे अपने साथ ले जाएगी।

गुपचुप ढंग से बनारस में हो रहा था इलाज

गौरतलब है कि झारखंड के मनाटू थाने का हिस्ट्रीशीटर और मोस्ट वांटेड अखिलेश यादव मुठभेड़ के बाद फरार हो गया था। मुठभेड़ के दौरान उसके पेट में गोलियां लगी थी, इनमें से कुछ गोलियां पीठ से पार हो गई थी। इसके बाद उसके परिजन उसे बनारस के निजी अस्पताल लेकर आये। यहां गुपचुप ढंग से बगैर पुलिस को सूचित किये डाक्टर और प्रबंधन की मिलीभगत से उसका इलाज किया जा रहा था। चिकित्सकों ने उसके पेट से चार गोलियां निकाल ली थीं। आईसीयू में भर्ती नक्सली झारखण्ड के गढ़वा का रहनेवाला है। उसका असली नाम अखिलेश यादव है और उसने अपनी पहचान छुपाने के लिए अस्पताल में मिथिलेश यादव नाम दर्ज कराया था।

नारायणपुर और दंतेवाड़ा में 17 मई को हुई थी मुठभेड़

आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ के नारायणपुर और दंतेवाड़ा में सुरक्षाबलों से मुठभेड़ में नक्सली अखिलेश यादव 17 मई को घायल हुआ। इसके बाद वह चार दिनों से अस्पताल में भर्ती है। डीसीपी काशी जोन गौरव बंसवाल ने बताया कि नियमों के मुताबिक इस तरह के गोली लगे मामलों में अस्पताल प्रशासन को सबसे पहले स्थानीय पुलिस को सूचित करना होता है। लेकिन इस मामले में ऐसा नही किया गया है। 

15 मई की रात से शुरू हो गई घेराबंदी

झारखंड पुलिस के अनुसार पुलिस महानिदेशक और पुलिस महानिरीक्षक रांची के निर्देश पर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अभियान चलाए जा रहे हैं। इसी क्रम में 15 मई की रात 8.30 बजे पलामू के पुलिस अधीक्षक को सूचना मिली कि टीएसपीसी का जोनल कमांडर शशिकांत (10 लाख का इनामी) और उसके दस्ते के सदस्य नगीना, गौतम, मुखदेव (5 लाख का इनामी), शंभु सिंह और 7-8 अन्य सदस्य शामिल है, वह मनातू थाना क्षेत्र के जसपुर जंगल में किसी बड़ी घटना को अंजाम देने की योजना बना रहे हैं। सूचना पर पुलिस अधीक्षक पलामू के नेतृत्व में एक विशेष टीम गठित की गई। टीम में अपर पुलिस अधीक्षक (अभियान) राकेश सिंह, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी (हुसैनाबाद) एस. मो. याकूब, पुलिस उपाधीक्षक (परीक्ष्यमान) राजेश यादव और सशस्त्र बल के जवान शामिल थे। 17 मई को तड़के करीब 3 बजे पुलिस बल मनातू थाना क्षेत्र के बंसकटिया जंगल में पहुंचा। पुलिस को देखते ही नक्सलियों ने अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी। पुलिस ने आत्मसमर्पण की चेतावनी दी लेकिन नक्सलियों ने फायरिंग जारी रखी। जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने आत्मरक्षा में गोलीबारी की। 

टीएसपीसी का सबजोनल कमांडर है अखिलेश यादव

इस दौरान बढ़ते दबाव के कारण नक्सली घने जंगल और पहाड़ी क्षेत्र का फायदा उठाकर भाग निकले। मुठभेड़ में टीएसपीसी का सबजोनल कमांडर अखिलेश यादव उर्फ गौतम यादव पुलिस की गोली से घायल हो गया। 21 मई को पुलिस को सूचना मिली कि घायल अखिलेश यादव उर्फ गौतम यादव अपने 20 वर्षीय भतीजे आकाश यादव की मदद से वाराणसी के एक निजी अस्पताल में इलाज करा रहा है। पलामू पुलिस की एक विशेष टीम ने त्वरित कार्रवाई करते हुए वाराणसी पहुंचकर सूचना की पुष्टि की। वर्तमान में उसका इलाज पुलिस अभिरक्षा में जारी है। उसके खिलाफ दर्ज प्रमुख प्राथमिकियों में मनातू थाना में धारा 147, 148, 149, 307, 353 25(1-बी)ए, 26, 27,35 आर्म्स एक्ट, 17 सीएलए एक्ट के तहत मुकदमे दर्ज हैं।