आस्था के महापर्व पर पहले ही दिन काशी में ध्वस्त हो गई यातायात व्यवस्था, पैदल चलना हुआ मुहाल
तिराहे और चौराहों भी लगा भीषण जाम, किसी तरह फुट-दो फुट रेंग पा रहे थे वाहन
वाराणसी, भदैनी मिरर। आस्था के सबसे बड़े पर्व छठ पूजा के दौरान व्रती महिलाएं और परिवार के लोग अस्ताचलगामी भगवान भाष्कर को अर्घ्य देकर निकले तो जगह-जगह भीषण जाम लग गया। पुलिस प्रशासन की यातायात व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो गई। जाम का कारण यह भी रहा कि एक ओर लोग अर्घ्य देकर घरों की ओर निकल रहे थे, इसी दौरान घाटों का नजारा लेने और तफरी करनेवालों की भीड़ घाट की ओर जा रही थी। इसके बाद ऐसा मंजर बना कि पैदल चलना भी मुश्किल हो गया था। ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी लोगों को समझाने और यातायात को सुगम बनाने का प्रयास करते रहे लेकिन जाम और विकट होती गई। इसके कारण घंटों यातायात प्रभावित रहा। जैसे-तैसे लोग धक्के खाते निकले तो वाहनों के काफिलों ने चौराहों और तिराहों को जाम कर दिया।
राजघाट, भैसासुर घाट, अस्सी घाट से लगायत सामने घाट और रामनगर पैदल चलनेवाले किसी तरह रेंग पा रहे थे। इसी में दो और चार पहियावालों का आना बड़े संकट का कारण बना। जिन लोगों के घर घाटों के आसपास था और पांच मिनट में वह घर पहुंच सकते थे, उन्हें भी घर जाने में घंटे से दो घंटे लग गये। छठ पूजा के लिए दोपहर बाद से ही लोगों का घाटों की ओर जाना शुरू हो गया। देखते ही देखते कारवां बढ़ता गया और सारी भीड़ घाटों पर सिमट गई। जैसे ही सूर्य देव को अर्घ्य देकर लोग निकलने लगे, तभी घाटों पर मस्ती के लिए जाने वाले लोगों की भीड़ पहुंचने लगी। इनमें खासकर वह युवा और युवतियों थे जो हास्टलों या किराये के आवासों में रहकर पढ़ाई या नौकरियां कर रहे हैं। वैसे तो आम दिनों में इनका इरादा मौज मस्ती ही होता है लेकिन आज इनका बहाना छठ पूजा देखना बना। देखते ही देखते घाटों की ओर जानेवाले हर मार्ग पर पैदल चलनेवालों का भीषण जाम लग गया। उधर, भीड़ में शामिल अमूमन लोग दो और चार पहिया से आये थे। इसलिए तिराहे और चाराहे भी जाम होने लगे।
राजघाट से सामने घाट तक हालत यह हो गयी कि आसपास के लोग मदद के लिए बाहर आ गये। सड़कों पर ठेलमठेल देख उन्होंने लोगों को गलियों का रास्ता बताया। इस दौरान करीब तीन घंटे लगे तब जाकर गलियों और घाट के आसपास की सड़कों पर यातायात सामान्य हुआ। दोपहिया और चार पहिया वाले जाम में फंसे रहे। अजीब हालत यह थी कि जो ख्ुद जाम का कारण बने थे वह अपने आगेवाले को जाम लगाने का दोषी ठहरा रहे थे। जाम में फंसा हर व्यक्ति दूसरों की गलतियां बताता रहा और अपने को शराफत का पुलिंदा साबित करता रहा। व्रती महिलाएं हाथों में जलते दीपक के साथ कलश लेकर घर जा रही थी। उनके साथ परिवार वाले भी थे। बच्चे और बुजुर्ग भी आस्था के इस महापर्व के भागीदार बनने आये थे। लेकिन जाम में फंसकर जो गति हुई उन्हें अगले साल तक नही भूलेगा। इस बार के पहले दिन के छठ पर्व पर यातायात की जो स्थिति रही उसे देखकर यही लगता है कि इसके लिए प्रशासन को नया इंतजाम करना पड़ेगा। अभी मंगलवार की सुबह भीड़ का रेला आना बाकी है। तब स्थिति क्या होगी यह तो समय ही बताएगा। लेकिन आज की यातायात व्यवस्था की प्लानिंग पूरी तरह फेल नजर आई।