वाराणसी में सोनम वांगचुक की रिहाई के लिए निकला मार्च, सौंपा गया ज्ञापन
साझा संस्कृति मंच ने रासुका हटाने और सोनम वांगचुक की रिहाई की मांग की
शास्त्री घाट से जिलाधिकारी कार्यालय तक निकाला गया मार्च
वाराणसी, भदैनी मिरर। भारतीय इंजीनियर, इनोवेटर और शिक्षा सुधारक सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी, उन पर रासुका लगाने और उनकी रिहाई की मांग को लेकर शुक्रवार 30 सितम्बर को साझा संस्कृति मंच की ओर से शास्त्री घाट से जिला अधिकारी कार्यालय तक मार्च निकाला गया। इस दौरान राष्ट्रपति को सम्बोधित ज्ञापन सौंपा गया। यह मांग की गई कि लद्दाख में दमन और कर्फ्यू तत्काल समाप्त किया जाय। छठी अनुसूची के तहत राज्य का दर्जा और अधिकारों की स्वीकृति मिले। लद्दाख हिंसा और पुलिस गोलीबारी की न्यायिक जांच कराई जाय और हिमालय रीजन के पर्यावरण और पारिस्थिकि के संरक्षण क़ो सुनिश्चित किया जाय।
साझा संस्कृति मंच ने ज्ञापन के माध्यम से केंद्र सरकार से सोनम वांगचुक की तत्काल रिहाई, आंदोलनकारियों के खिलाफ सभी मामलों को वापस लेने, राज्य का दर्जा स्वीकार करने और लद्दाख के लोगों को अनुसूची 6 प्रदान करने की मांग की है। कहाकि हम लद्दाख के लोगों के लोकतांत्रिक आंदोलन के प्रति एकजुटता व्यक्त करते है जो राज्य का दर्जा, आजीविका और लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं और केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासन में नौकरशाही की तानाशाही को समाप्त करना चाहते हैं। यह भी कहा गया कि मंच लद्दाख के लोगों के संघर्ष का समर्थन करता रहा है। महान देशभक्त सोनम वांगचुक और उनके साथी आंदोलनकारियों पर ’राष्ट्रीय सुरक्षा’ के लिए ख़तरा होने का आरोप लगाना, लद्दाखी लोगों के अस्तित्व और ज़मीन, प्राकृतिक संपदा और विकास पर उनके अधिकार और लोक तंत्र मे सवाल करने के नागरिक के अधिकार को ख़त्म करने की एक नापाक कोशिश है।
सरकार ने असली तथ्यों को नजरअंदाज किया
24 सितंबर को सोनम वांगचुक पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया गया है, और इस तथ्य को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ किया गया कि पिछले 5 सालों से एक शांतिपूर्ण और लंबा संघर्ष चल रहा है और इसी के तहत वे 10 सितंबर से भूख हड़ताल पर थे। लद्दाख में हुई हिंसा की हम निंदा करते हैं। साथ ही सुरक्षा बलो की गोली से 4 युवक मारे गए, 100 से अधिक घायल हुए और कर्फ्यू लगा दिया गया, इसकी कड़ी आलोचना करते हैँ। हम मानते हैं कि सरकार का यह तरीका राष्ट्रहित में नहीं है। ऐसे संवेदनशील मुद्दे को, खासकर हिमालय के उस क्षेत्र में, जो चीन के साथ अंतर्राष्ट्रीय सीमा साझा करता है, जनता की मांग की उपेक्षा और आक्रोश क़ो संभालते समय घोर त्रुटि है।
गृह मंत्रालय और लेह के पुलिस महानिदेशक का वांगचुक को चीनी एजेंट बताना दुभाग्यपूर्ण
केंद्रीय गृह मंत्रालय और लेह के पुलिस महानिदेशक द्वारा वांगचुक को पहले चीनी एजेंट और फिर पाकिस्तान का सहयोगी बताने की कोशिश दुर्भाग्यपूर्ण है। यह देश के सभी सामाजिक कार्यकर्ताओ का अपमान हैस रिपोर्टों के अनुसार, शवों के धड़ और सिर पर गोलियों के कई घाव थे। नियमों के अनुसार, नागरिकों के लोकतांत्रिक विरोध प्रदर्शनों को नियंत्रित करते हुए, पुलिस को न्यूनतम बल प्रयोग करना चाहिए। इससे पता चलता है कि पुलिस द्वारा ज्यादतियां की गईं और नियमों का उल्लंघन किया गया।
बेरोजगारी दर अब राष्ट्रीय औसत से दोगुनी
कहाकि जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा समाप्त करने और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश घोषित न करने से बड़े पैमाने पर बेरोजगारी हुई है। इससे युवाओं में गुस्सा है। 14 दिसंबर 2024 को राज्यसभा में पेश की गई रिपोर्टों के अनुसार, 2021-22 में लद्दाख में 15 वर्ष या उससे अधिक आयु के 9.8 प्रतिशत स्नातक बेरोजगार थे। लेकिन 2022-23 में यह संख्या बढ़कर 26.5 प्रतिशत हो गई। राष्ट्रीय औसत 2021-22 में 14.9 प्रतिशत और 2022-23 में 13.4 प्रतिशत था। इस प्रकार, लद्दाख, जहां 2021-22 में स्नातक बेरोजगारी राष्ट्रीय औसत से लगभग 5 प्रतिशत अंक कम थी, एक वर्ष में 16 प्रतिशत अंकों की वृद्धि देखी गई और बेरोजगारी दर अब राष्ट्रीय औसत से दोगुनी है। मीडिया खबरों के अनुसार, विभिन्न विभागों में 534 रिक्तियों को भरने के लिए हाल ही में जारी विज्ञापन के लिए 50,000 आवेदन प्राप्त हुए, जो लद्दाख के लोगों के सामने मौजूद अत्यधिक बेरोजगारी को दर्शाता है। मूल मुद्दे रोजगार और भूमि पर अधिकारों की कमी हैं। छठी अनुसूची में शामिल होने से भूमि पर उनके अधिकार सुनिश्चित होंगे, जबकि राज्य का दर्जा युवाओं के लिए रोजगार सुनिश्चित करेगा और ये मांगें जायज हैं।
स्थानीय लोगों और आदिवासी हितों के खिलाफ है सरकार की नीतियां
मंच की ओर से बताया गया कि स्थानीय लोगों के लिए रोजगार और आजीविका पैदा करने हेतु जन-केंद्रित विकास सुनिश्चित करने के बजाय कॉरपोरेट घरानों को सिलिका, रेयर अर्थ, सौर पैनलिंग, पर्यटन आदि के खनन, व्यापार और उद्योग के लिए भूमि, झीलों और जंगलों का एक बड़ा हिस्सा सौंपने के मिशन स्थानीय लोगों और किसानों के चरागाह, पशुपालन, कृषि, मछली पकड़ने पर नियंत्रण को पूरी तरह से कमजोर करती है। यह उनके जीवनयापन का मुख्य स्रोत हैं। यह आदिवासी लोगों के अधिकारों से संबंधित भारतीय संविधान के विशेष प्रावधानों के विरुद्ध है, जिसका लद्दाख के लोग अभिन्न अंग हैं.
केंद्र सरकार पर लगाया कॉरपोरेट ताकतों के हितों की सेवा का आरोप
केंद्र सरकार लोकतांत्रिक आंदोलनों और उनके देशभक्त नेताओं को राष्ट्रविरोधी घोषित करके और उन्हें जेल में डालकर लद्दाख के लोगों के हितों से ऊपर कॉरपोरेट ताकतों के हितों की सेवा कर रही है। लद्दाख में राजनीतिक घटनाक्रम और वहाँ के जन आंदोलन के साथ जिस असंवेदनशील और खतरनाक तरीके से व्यवहार किया जा रहा है, वह भारत भर के सभी संवेदनशील नागरिकों क़ो दुःखी क़र रहा है.
कार्यक्रम में यह रहे शामिल
इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से रामधीरज, अशोक कुमार, अफलातून, संजीव सिंह, जागृति रही, एकता, नीति, टैंन, अरविंद कुमार, धन्नजय, रवि, पूजा, रोमान, मुस्तफा, अशोक भारत, पारमिता, सिस्टर फ़्लोरिन, इन्दु आदि शामिल रहे।