जयंत नेत्र भंग और पंचवटी लीला का मंचन देख भक्त हुए भाव-विभोर, 123 साल पुरानी है शिवपुर की रामलीला
रामलीला के 18वें दिन तुलसीदास कृत रामचरितमानस पर आधारित प्रसंगों ने बांधा समा, जयंत नेत्र भंग से लेकर पंचवटी विश्राम तक के दृश्यों ने दर्शकों को कराया आध्यात्मिक अनुभव
वाराणसी। शिवपुर की 123 वर्षों से चली आ रही रामलीला सनातन संस्कृति और भक्ति का जीवंत प्रतीक बनी हुई है। 23 सितंबर 2025 को रामलीला के 18वें दिन स्थानीय मैदान में तुलसीदास कृत रामचरितमानस पर आधारित प्रसंगों—जयंत नेत्र भंग, ऋषिगण मिलन और राम-सीता की पंचवटी विश्राम लीला—का भावपूर्ण मंचन किया गया। इस अवसर पर सैकड़ों श्रद्धालु दर्शक भक्ति और आध्यात्मिकता की भावनाओं में डूब गए।
जयंत प्रसंग में माता सीता पर शकुन देखने आए रावण पुत्र के नेत्रों को लक्ष्मण द्वारा बाण से भेदन का दृश्य अत्यंत रोमांचक रहा। इसने अहंकार और उसके परिणाम को प्रभावशाली ढंग से दर्शाया। इसके बाद राम-लक्ष्मण का वनवास के दौरान ऋषियों से मिलन और उनका आशीर्वाद लेने का दृश्य भक्तों को गहन आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता रहा। पंचवटी में राम और सीता के प्रेमपूर्ण संवाद ने पूरे वातावरण को भावुक बना दिया।
लीला के दौरान मृदंग की मधुर ध्वनि और कलाकारों की सधी हुई प्रस्तुति ने दर्शकों को एक अलौकिक अनुभूति कराई। यह परंपरा केवल भक्ति का ही नहीं बल्कि सामाजिक एकजुटता का भी प्रतीक मानी जाती है।
उसी दिन शिवपुर केंद्रीय कारागार में भी 10 दिवसीय रामलीला का शुभारंभ किया गया, जो सनातन मूल्यों और आदर्शों के प्रसार का माध्यम है।