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काशी में भूखमुक्ति की मुहिम को सलाम, किशोर रोटी बैंक के संस्थापक की जयंती पर सेवा कार्यक्रम

स्वर्गीय किशोर कांत तिवारी की प्रेरणा से संचालित हो रहा है भूख के खिलाफ अनोखा अभियान, मूक-बधिर बच्चों संग मनाई गई जयंती

 

वाराणसी,भदैनी मिरर। भूख के खिलाफ काशी में छेड़े गए एक सामाजिक आंदोलन की 36वीं वर्षगांठ आज भावुक क्षणों के साथ मनाई गई। यह आंदोलन शुरू हुआ था सासाराम से आए एक युवा छात्र किशोर कांत तिवारी के एक संकल्प से - जब उन्होंने किसी को कचरे से भोजन ढूंढते देखा और निश्चय किया, “काशी में कोई भी भूखा नहीं सोएगा।”

वर्ष 2017 में उन्होंने “किशोर रोटी बैंक” की स्थापना की। शुरुआती दिनों में किशोर खुद घर-घर जाकर लोगों से बचा हुआ भोजन इकट्ठा करते और ज़रूरतमंदों तक पहुंचाते थे। सोशल मीडिया ने इस मुहिम को जन-जन तक पहुंचाया—लोग अपने खास मौकों पर भोजन दान करने लगे।

कोरोना महामारी के दौरान स्वास्थ्य सुरक्षा को देखते हुए किशोर ने बचा हुआ भोजन लेना बंद कर दिया और एक सामुदायिक किचन की शुरुआत की, जिससे प्रतिदिन हज़ारों लोगों को गरम खाना मुफ्त दिया गया।

दुर्भाग्यवश, 15 अप्रैल 2021 को किशोर कांत तिवारी का कोविड संक्रमण के कारण निधन हो गया। लेकिन उनका संकल्प आज भी जीवित है-किशोर रोटी बैंक के रूप में।

36वीं जयंती पर सेवा कार्यक्रम

आज 7 अगस्त को उनकी 36वीं जयंती के अवसर पर संस्था द्वारा एक विशेष सेवा कार्यक्रम का आयोजन किया गया। किशोर रोटी बैंक की निहारिका सिंह, अध्यक्ष श्लोक सिंह, संस्था सचिव सचिन यादव,राकेश यादव, शुभांशु तिवारी, सौरभ यादव, नवीन गुप्ता और तनु यादव ने मिलकर  बिमल चंद्र घोष मूक एवं बधिर विद्यालय में बच्चों के साथ जयंती मनाई। इस मौके पर बच्चों को स्टेशनरी किट और रिफ्रेशमेंट किट का वितरण किया गया। कार्यक्रम में हर्षोल्लास के साथ किशोर की प्रेरणा को याद किया गया।