बिजली का निजीकरण कर्मचारियों, किसानों और उपभोक्ताओं के हित में नहीं, आंदोलन जारी रहेगा
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति का 350वें दिन विरोध प्रदर्शन जारी
प्रबंध निदेशक और समिति में हुई द्विपक्षीय वार्ता, कुछ बातों पर बनी सहमति
बताया-कई बड़े शहरों के बिजली निजीकरण की अंदर- अंदर चल रही है योजना
वाराणासी, भदैनी मिरर। संघर्ष समिति के बैनर तले पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में चल रहे आंदोलन के 350वें दिन भी आंदोलन जारी रहा। इस दौरान बनारस के बिजलीकर्मियों ,जूनियर इंजीनियरों और अभियंताओं ने प्रदेश के समस्त जनपदों की भांति ही जोरदार विरोध कर प्रदर्शन कर आक्रोश व्यक्त किया।
वक्ताओ ने बताया कि आज पूर्वांचल के सभी शहरी कैश काउंटर पहले की तरह विभागीय संचालित करने, वर्ष 2023 में गलत तरीके या कम्पनी की मनमानी से निकाले जाने वाले संविदाकर्मियों को वर्तमान टेंडर में रिक्त के सापेक्ष कार्य पर रखने। वर्तमान व्यवस्था में खंडीय कार्यालय द्वारा फेसिअल अटेंडेंस हेतु पुराने कंप्यूटर में कैमरा लगाकर विद्युत उपकेंद्रों पर रखवाने पर प्रबन्ध निदेशक पूर्वांचल से संघर्ष समिति पूर्वांचल कमेटी की द्विपक्षीय वार्ता के दौरान इसकी सहमति बनी। वक्ताओं ने बताया कि विरोध सभा में बिजलीकर्मियों ने संकल्प लिया कि निजीकरण के विरोध में आंदोलन तब तक चलता रहेगा जब तक निजीकरण का निर्णय वापस नहीं लिया जाता। कहा कि 05 अप्रैल 2018 को तत्कालीन ऊर्जा मंत्री और 06 अक्टूबर 2020 को उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री के साथ हुए लिखित समझौते में स्पष्ट कहा गया था कि बिजलीकर्मियों को विश्वास में लिये बिना उत्तर प्रदेश में ऊर्जा क्षेत्र में कहीं कोई निजीकरण नहीं किया जाएगा। यह सब इन दोनों समझौतों का खुला- उल्लंघन है।
उधर, विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने बयान में कहा कि बिजलीकर्मी अगले 350 दिन तक उपभोक्ताओं और किसानों को विश्वास में लेकर संघर्ष के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि निजीकरण का निर्णय न कर्मचारियों के हित में है, न किसानों के हित में और न उपभोक्ताओं के हित में। इसे वापस नहीं लिया जाता तो बिजली कर्मी उपभोक्ताओं को साथ लेकर आंदोलन चलाते रहेंगे। समिति ने कहा कि वर्टिकल रिस्ट्रक्चरिंग के नाम पर लेसा में सभी संवर्गों के हजारों पद केवल इसलिए समाप्त किए जा रहे हैं कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के साथ-साथ प्रदेश के कई बड़े शहरों के निजीकरण की भी अंदर-अंदर योजना चल रही है।
इसी योजना के तहत पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम में सहारनपुर, मेरठ, गाजियाबाद, नोएडा और मुरादाबाद में रिस्ट्रक्चरिंग की गई है। मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के बरेली में की जा चुकी है और लखनऊ में की जा रही है। कहाकि निजी कंपनियों का सबसे पहला हमला कर्मचारियों पर होता है, जिसमें सर्वोच्च प्राथमिकता पर संविदाकर्मी निकाले जाते हैं। बाकी नियमित कर्मचारियों को परेशान करके जबरन सेवानिवृत्ति लेने के लिए विवश किया जाता है। दिल्ली, उड़ीसा और चंडीगढ़ इसके ज्वलंत उदाहरण हैं। विरोध सभा को ई. मायाशंकर तिवारी, अंकुर पाण्डेय, आरबी यादव, रंजीत पटेल, संदीप कुमार, प्रदीप कुमार, दिनेश यादव, रंजीत कुमार, धनपाल सिंह, भैयालाल, मनोज यादव, आदि ने संबोधित किया।