पुलिस-अधिवक्ता विवाद : प्रकरण की होगी मजिस्ट्रेटरियल जांच, एडीसीपी नीतू के खिलाफ कार्रवाई की मांग
दो अधिवक्ताओं की पिटाई के मामले ने पकड़ा तूल, बनारस की आंग की लपट पहुंची इलाहाबाद हाईकोर्ट
मामला बढ़ता देख मुख्यमंत्री को करना पड़ा हस्तक्षेप, अफसरों और बार प्रतिनिधियों की हुई बैठक
शांति और सौहार्द स्थापित करने पर दोनों पक्ष हुआ सहमत, मिलजुल कर करेंगे समस्याओं का समाधान
वाराणसी,भदैनी मिरर। काशी में पुलिस और अधिवक्ताओं के बीच बढ़ते विवाद के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर रविवार को दोनों पक्षों में हुई वार्ता के बाद छह विंदुओं पर सहमति बन गई है। पिछले करीब एक हफ्ते से दोनों पक्षों में बढ़ रहा तनाव कम हुआ और शांति बनाए रखने के साथ ही कचहरी को सुचारू रूप से चलाने पर रजामंदी हो गई हैं। मंडलायुक्त एस राजलिंगम, पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल, डीएम सत्येंद्र कुमार, एडीएम सिटी आलोक वर्मा, दी सेंट्रल बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मंगलेश दुबे समेत बार के अन्य पदाधिकारियों के बीच पुलिस आयुक्त के कैम्प कार्यालय में हुई बैठक में मंथन हुआ। बैठक के बाद कैम्प कार्यालय से बाहर निकले सेंट्रल बार एसोसिएशन अध्यक्ष मंगलेश दुबे ने वार्ता को संतोषजनक और सौहार्दपूर्ण बताया। कहाकि पूरे प्रकरण की मजिस्ट्रेट से जांच कराये जाने और अधिवक्ताओं से दुर्व्यहार के मामले में एडीसीपी वरूणा जोन नीतू सिंह के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है।
इस मामले में सेंट्रल बार की ओर से दिये गये 6 सूत्री मांगपत्र में कहा गया है कि अधिवक्ताओं के खिलाफ दर्ज एफआईआर की जांच मजिस्ट्रेट से करायी जाय। मजिस्ट्रेट जांच कमेटी में अधिवक्ताओं के प्रतिनिधि को भी शामिल किया जाय और मुकदमें समाप्त कराये जाएं। साथ ही जिन अधिवक्ताओं पर मुकदमे दर्ज हैं मजिस्ट्रेट जांच के दौरान उनके खिलाफ किसी तरह की उत्पीड़नात्मक कार्रवाई न की जाय। पिछले दिनों बड़ागांव थाने के लाकअप में बंद कर अधिवक्ता मोहित सिंह को मारे जाने के प्रकरण की जांच मजिस्ट्रेट से करायी जाय।
गौरतलब है कि पिछले दिनों रथयात्रा चौराहे पर पत्नी के साथ बाइक से जा रहे अधिवक्ता शिवा प्रताप सिंह की एक दरोगा ने पिटाई कर दी थी। इस मामले में सेंट्रल बार की ओर से मांग की गई है कि उनके खिलाफ कोई क्रास एफआईआर दर्ज न किया जाय। मांग पत्र में कहा गया है कि पुलिस-अधिवक्ता विवाद के दौरान पुलिसकर्मियों की ओर से किये गये अभद्र पोस्ट को तत्काल हटाया जाय और उनके द्वारा सद्व्यवहार सिखाया जाय। छठीं मांग में कहा गया है कि पूरे प्रकरण के दौरान पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों का व्यवहार आपत्तिजनक और गैर पेशेवर रहा। इस दौरान एडीसीपी वरूणा जोन नीतू का बयान आपत्तिजनक रहा, इसलिए उनके खिलाफ कार्रवाई की जाय।
दोषियों के खिलाफ होगी कार्रवाई, हटाए जायेंगे आपत्तिजनक पोस्ट- मोहित अग्रवाल
उधर, पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने कहाकि मजिस्ट्रेट जांच के दौरान जो भी पुलिसकर्मी दोषी पाये जाएंगे उनके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी। प्रकरण में दोनों पक्षों की ओर से सोशल मीडिया पर किये गये आपत्तिजनक पोस्ट डिलिट किये जाएंगे। जांच के दौरान किसी प्रकार की उत्पीड़नात्मक कार्रवाई नही की जायेगी। दोनों पक्षों में तालमेल बनाने रखने के लिए हर माह बैठक होगी और समस्याओं का आपसी सहमति के आधार पर निराकरण किया जायेगा।
यह था पूरा मामला
आपको बता दें कि आठ दिन पहले बड़ागांव थाने में जनसनुवाई हो रही थी। जमीन विवाद के मामले में अधिवक्ता मोहित सिंह अपने पक्ष के साथ और दूसरा पक्ष भी वहां पहुंचा था। बताया जाता है कि सुनवाई के दौरान पुलिस के सामने दोनों पक्षों में मारपीट हो गई। इस मामले में अधिवक्ता मोहित सिंह ने आरोप लगाया था कि उन्हें थाने के हवालात में बंद कर मारापीट गया था। इसके बाद बड़ागांव थाने का एक दरोगा कचहरी आये थे तो अधिवक्ताओं ने भी उनकी पिटाई कर दी थी। जबकि इससे पहले पिछले शुक्रवार को लक्सा स्थित लक्ष्मी मंदिर से पत्नी के साथ दर्शन कर बाइक से घर लौट रहे अघिवक्ता शिवा प्रताप सिंह को भी एक दरोगा ने पीट दिया था। इन मामलों को लेकर अधिवक्ताओं और पुलिस में ठन गई थी। दोनों तरफ से मुकदमें दर्ज होने लगे। कचहरी अशांत हो गई। जुलूस, नारेबाजी से परिसर गूंजने लगा। साथ ही सोशल मीडिया पर दोनों पक्षों से आपत्तिजनक पोस्ट किये जाने लगे। मामला इतना गर्मा गया कि इसकी आंच हाईकोर्ट तक पहुंच गई और वहां अधिवक्ता लामबंद होने लगे। प्रकरण के गंभीर मोड़ लेते देख आखिरकार मुख्यमंत्री को हस्तक्षेप करना पड़ा।