5 साल पहले BHU के लापता छात्र की जनहित याचिका निस्तारित; हाईकोर्ट ने जताई त्वरित सुनवाई की उम्मीद
13 फरवरी 2020 को लंका पुलिस की कस्टडी से संदिग्ध परिस्थिति में लापता हो गया था बीएचयू छात्र शिव कुमार त्रिवेदी
तत्कालीन थाना प्रभारी भारत भूषण तिवारी समेत आठ पुलिसकर्मियों के खिलाफ दर्ज हुआ था मुकदमा
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट कोर्ट ने लापता बीएचयू छात्र शिव कुमार त्रिवेदी के मामले में ट्रायल कोर्ट से अपेक्षा की है कि मामले की त्वरित सुनवाई की जाएगी। मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली एवं न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की खंडपीठ ने जनहित याचिका निस्तारित करते हुए यह टिप्पणी की है. आपको बता दें कि पांच साल पहले 13 फरवरी 2020 को लंका पुलिस की कस्टडी से संदिग्ध परिस्थिति में बीएचयू छात्र शिव कुमार त्रिवेदी गायब हो गया था।
खंडपीठ ने कहा कि मामले में हाईकोर्ट के हस्तक्षेप और कई आदेश के बाद जांच के बाद दोषी पुलिसकर्मियों के विरुद्ध राज्य सरकार ने मुकदमा चलाने कि अनुमति दे दी। दोषी पुलिसकर्मियों के विरुद्ध चार्जशीट भी संबंधित न्यायालय में दाखिल की गयी है। ऐसी स्थिति में ट्रायल कोर्ट के पास मामले का संज्ञान लेने का पर्याय प्रावधान है। याची के वकील सौरभ तिवारी नें बहस के दौरान मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम 2017 की धारा 100 के प्रावधानों का उल्लेख किया और कहाकि जो पुलिसवाले सीधे तौर पर इस प्रावधान के तहत दोषी हैं, उन्हें पुलिस ने जांच में दोषमुक्त करार दिया है। उन्हें बचाने का प्रयास किया गया है।
वकील सौरभ तिवारी के पत्र का संज्ञान 19 अगस्त 2020 को तत्कालीन मुख्य न्यायमूर्ति गोंविद माथुर ने लिया थ।. इस मामले में हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद 29 अक्टूबर 2020 को राज्य सरकार ने सीबीसीआईडी को मामले की जांच सौंपी थी। जांच के बाद पता चला कि शिव कुमार त्रिवेदी की मानसिक हालत ठीक नहीं थी और 15 फरवरी 2020 को उसकी रामनगर स्थित कुतुलपुर पोखरी में डूबकर को मौत हो गई थी। इस मामले में तत्कालीन थाना प्रभारी भारत भूषण तिवारी सहित कुल आठ पुलिसकर्मियों के विरुद्ध ड्यूटी में लापरवाही बरतने, चिकित्सकीय सुविधा नहीं उपलब्ध कराने को लेकर 17 अगस्त 2022 को एफआईआर दर्ज की गई। आरोपितों के खिलाफ आईपीसी की धारा 166 एवं 304-ए के तहत कार्रवाई की गई थी। विवेचना के बाद हेड कांस्टेबल विजय कुमार यादव, कांस्टेबल शैलेंद्र कुमार सिंह व होमगार्ड संतोष कुमार के विरुद्ध आरोपपत्र दाखिल किया गया। जबकि पांच अन्य पुलिसकर्मियों को दोषी नहीं ठहराया गया।