बीएचयू कैंपस से चंदन की लकड़ी चोरी पर एनजीटी ने उठाए गंभीर सवाल, कहा- इतनी सुरक्षा में बाहर कैसे निकली लकड़ी?
एनजीटी की तीन सदस्यीय पीठ ने बीएचयू से मांगा जवाब, चोरी की एफआईआर में विरोधाभास और बगैर आकलन रिपोर्ट पेड़ों की कटाई पर उठे सवाल
वाराणसी,भदैनी मिरर| काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) से चंदन के बहुमूल्य पेड़ों की कथित चोरी और अन्य पेड़ों की अवैध कटाई के मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने सोमवार को तीखे सवाल उठाए। एनजीटी प्रधान पीठ, नई दिल्ली की तीन सदस्यीय पीठ- जिसमें चेयरपर्सन न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव, न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य डॉ. ए. सेंथिल वेल शामिल थे ने इस मामले की सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया।
याचिकाकर्ता सह अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से एनजीटी के समक्ष अपना पक्ष रखा। सुनवाई के दौरान एनजीटी ने बीएचयू कैंपस से बहुमूल्य चंदन की लकड़ी बाहर कैसे गई, इसपर सवाल उठाते हुए कहा कि "लकड़ी कोई गठरी नहीं होती, इतनी सुरक्षा के बीच वह बाहर कैसे गई?"
बीएचयू के अधिवक्ता ने दावा किया कि कटे गए चंदन "पौधे" थे, जिसे सुनकर न्यायमूर्ति श्रीवास्तव और अग्रवाल ने कड़ी फटकार लगाई और कहा कि जब एफआईआर में "चंदन की लकड़ी" और "कीमती वृक्ष" लिखा है, तो पौधे का तर्क बचकाना है।
एनजीटी ने यह भी पूछा कि पहली एफआईआर में 4 चंदन के पेड़, जबकि दूसरी में केवल "कीमती वृक्ष" का ज़िक्र क्यों किया गया? साथ ही, यह भी टिप्पणी की गई कि 12 अन्य पेड़ बिना किसी वैज्ञानिक आकलन के कैसे काट दिए गए।
याचिकाकर्ता के अनुसार वर्ष 2018 और 2023 में कुल 8 चंदन के पेड़ चोरी हुए। 12 अन्य पेड़ों में आम, महुआ, कटहल, गोल्ड मोहर शामिल हैं, जो कथित तौर पर अवैध रूप से काटे गए। बीएचयू द्वारा ताड़ के पेड़ से शोध छात्रा के घायल होने का हवाला देकर काटने को उचित ठहराया गया, जिसे एनजीटी ने ‘बचाव की कागजी कोशिश’ माना। मौके की सीसीटीवी फुटेज को दबाने और पेड़ों को खतरनाक बताकर कार्रवाई करने पर भी कोर्ट ने नाराजगी जताई। जिलाधिकारी व वन विभाग के प्रतिनिधि की अनुपस्थिति पर भी न्यायालय ने तीखी टिप्पणी की और कहा, "ऐसा प्रतीत होता है सब मिले हुए हैं।"
एनजीटी के न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने टिप्पणी करते हुए कहा कि हॉस्टल के बाहर पेड़ हैं तो सबको खतरा बताकर काट देंगे? दिल्ली में आंधी से एक पेड़ गिरेगा तो क्या सारे पेड़ काट दिए जाएंगे? अब एनजीटी इस पर आदेश पारित करेगा और बीएचयू पर संभावित जुर्माना लगाया जा सकता है। बीएचयू के वकील ने दो सप्ताह का समय मांगा है।