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MLC आशुतोष सिन्हा और उनके परिवार का नाम कटा, डीएम से मिलकर की शिकायत

विधान परिषद सदस्य ने कहा- परिवार सहित वैध आवेदन के बावजूद मतदाता सूची से नाम गायब
 

 

वाराणसी, भदैनी मिरर। स्नातक एमएलसी चुनाव की मतदाता सूची को लेकर वाराणसी स्नातक खंड में बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। विधान परिषद सदस्य आशुतोष सिन्हा ने अपने और पूरे परिवार का नाम कटने का आरोप लगाया है। अपनी शिकायत को लेकर एमएलसी ने जिलाधिकारी वाराणसी से मुलाकात कर शिकायत दर्ज की है। इसको लेकर एमएलसी ने मंडलायुक्त वाराणसी को पत्र लिखकर आठ जिलों- वाराणसी, चंदौली, गाजीपुर, जौनपुर, मिर्जापुर, भदोही, सोनभद्र और बलिया में व्यापक, संगठित और गंभीर अनियमितताओं का आरोप लगाया है।

शिकायत में कहा गया है कि मतदाता सूची निर्माण प्रक्रिया में जिस पारदर्शिता और सतर्कता की अपेक्षा थी, वह पूरी तरह नदारद दिख रही है। एमएलसी आशुतोष सिन्हा ने दावा किया कि उन्होंने और उनके परिवार के सदस्यों ने क्वींस कॉलेज यूथ पर विधिवत आवेदन किया था, बावजूद इसके उनका नाम मतदाता सूची में शामिल नहीं किया गया।


अन्य जिलों से भी मिल रही समान शिकायतें


सिन्हा ने पत्र में उल्लेख किया है कि यह समस्या सिर्फ एक जिले तक सीमित नहीं है। अन्य जनपदों से भी यही शिकायतें सामने आ रही हैं कि पात्र स्नातक मतदाताओं के नाम सूची में नहीं जोड़े गए। इससे यह संकेत मिलता है कि पूरी प्रक्रिया में लापरवाही, भेदभाव और संभवत: भ्रष्टाचार हुआ है।


जांच, नाम जोड़ने और कार्रवाई की मांग


शिकायत पत्र में उन्होंने चार प्रमुख मांगें रखी हैंः

  1. आठों जिलों में सभी मतदाता संग्राहक केंद्रों की व्यापक और पारदर्शी जांच कराई जाए।
  2. उनके परिवार सहित सभी पात्र आवेदकों के नाम तत्काल मतदाता सूची में जोड़े जाएं।
  3. जिन अधिकारियों/कर्मियों ने लापरवाही, पक्षपात या भ्रष्टाचार किया है, उन पर अनुशासनात्मक और कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
  4. पूरे प्रकरण की विस्तृत रिपोर्ट शासन और निर्वाचन आयोग को भेजी जाए, ताकि आगे ऐसी त्रुटियां न दोहराई जाएं।

“7 दिन में कार्रवाई रिपोर्ट दें, नहीं तो कानूनी कदम उठेंगे”—सिन्हा

एमएलसी ने मंडलायुक्त को चेतावनी भी दी है कि यदि 7 दिनों के भीतर प्रभावी और समयबद्ध कार्रवाई नहीं होती है, तो वह उच्च न्यायालय, लोकायुक्त और निर्वाचन आयोग में औपचारिक शिकायत दर्ज करने के लिए बाध्य होंगे।

उन्होंने कहा कि यह मामला केवल उनके व्यक्तिगत अधिकारों का नहीं, बल्कि पूरे वाराणसी स्नातक खंड के हजारों स्नातक मतदाताओं के लोकतांत्रिक अधिकारों से जुड़ा है। इसलिए प्रशासन को इसे अत्यंत गंभीरता से लेना चाहिए।