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Varanasi में देर रात चला बुलडोजर और नाइट मार्केट बन गया इतिहास, सभी दुकानें ध्वस्त

देर रात नगर निगम की सख्त कार्रवाई, बुलडोजर चलाकर हटाया गया नाइट मार्केट, व्यापारियों में आक्रोश

 
वाराणसीभदैनी मिरर। इंदौर के तर्ज पर वाराणसी कैंट स्टेशन के सामने सजा नाइट मार्केट अब इतिहास बन गया है। शुक्रवार की देर रात नगर निगम का बुलडोजर चला और सभी दुकानों को ध्वस्त कर दिया गया। इस दौरान स्थानीय पुलिस के साथ ही नगर निगम का अतिक्रमण हटाओ दस्ता भी मौजूद रहा। 
जानकारी के अनुसार बीते बुधवार को ही नगर निगम ने अंधरापुल से रोडवेज तक के नाईट मार्केट में स्थित 25 दुकानों को खाली कराया था। दुकानों को खाली कराने में नगर निगम प्रशासन को भारी विरोध का सामना करना पड़ा था। उसी दिन नगर निगम ने एनाउन्समेन्ट कर शेष सभी दुकाने अगले 48 घंटे मे खाली करने का अल्टीमेटम दिया था। दुकानदारों को दिए गए समय सीमा के बाद नगर निगम ने दुकानों को जमींदोज कर दिया। शुक्रवार सुबह ही ज्यादातर दुकानदारों ने अपनी दुकानें खाली कर ली थी, ज्यादातर लोगों ने अपनी दुकानों को हटवा भी दिया था।
मोदी-योगी सरकार ने छल किया
नाइट मार्केट हटाए जाने को लेकर यूपी प्रदेश अध्यक्ष अजय ने अपनी प्रतिक्रिया दी। कहा कि "मोदी-योगी सरकार ने काशी के नाइट मार्केट प्रोजेक्ट के नाम पर जनता और छोटे व्यापारियों के साथ छल किया है। जिस योजना को 11 करोड़ की लागत से रोजगार देने के नाम पर शुरू किया गया था, अब उसे बिना विकल्प दिए उजाड़ दिया गया। 
पीड़ित दुकानदारों के आंसुओं का हिसाब काशीवासी ज़रूर लेंगे। यदि रोजगार देना था तो उजाड़ा क्यों? यदि योजना सफल नहीं रही, तो नई सौंदर्यीकरण योजना किस भरोसे पर शुरू की जा रही है?
श्रेया कंपनी से टूटा था अनुबंध 
नगर निगम वाराणसी ने नाइट मार्केट के संचालन की जिम्मेदारी श्रेया कंपनी को दी थी, लेकिन निर्धारित मानकों को पूरा न करने एवं शर्तो का उल्लघंन करने पर नगर निगम ने कई बार नोटिस जारी किया। बाबजूद इसके अनुबंध का अनुपालन न करने पर श्रेया कम्पनी से अपना टेंडर निरस्त कर दिया। जिससे सभी दुकाने अवैध हो गई। नगर निगम ने पूर्व में सभी दुकानों को खाली कराने का नोटिस दिया गया था। नोटिस देने के बाद भी दुकानदारों द्वारा दुकानों को खाली नही किया गया। कैन्ट रेलवे स्टेशन व रोडवेज बस स्टैंड से अंधरापुल तक नाईट मार्केट की आड़ में कई अनैतिक कार्य होने के समाचार नगर निगम को मिल रहे थे। मानक के अनुरूप दुकानों का संचालन न होने से इन क्षेत्रों में व्यापक गंदगी तथा आवागमन बाधित होता रहा।
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