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वाराणसी में गाजा के बच्चों के लिए रखा गया उपवास, युद्ध विराम की अपील

 

वाराणसी: इज़राइल-फिलिस्तीन युद्ध के चलते गाजा में हो रही बच्चों की मौत और मानवीय संकट के खिलाफ शनिवार को वाराणसी में साझा संस्कृति मंच के बैनर तले नागरिक समाज के सदस्यों ने एक दिवसीय उपवास किया। यह उपवास सिगरा क्षेत्र में रखा गया, जहां युद्ध के खिलाफ शांति और मानवीय सहायता की मांग को लेकर हस्ताक्षर अभियान भी चलाया गया।

कार्यक्रम की अगुवाई कर रहीं गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता जागृति राही ने कहा कि पिछले डेढ़ साल से जारी इस युद्ध में स्कूल, अस्पताल तक सुरक्षित नहीं हैं। “गाजा में बच्चे बमबारी के बीच भूखे पेट पलने को मजबूर हैं,” उन्होंने कहा। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, 90% बच्चे दिन में एक बार भी पूरा भोजन नहीं कर पा रहे हैं और यदि राहत नहीं पहुंची, तो अगले 48 घंटे में 14,000 बच्चों की जान खतरे में है।

फादर दयाकर ने कहा, “हम भारतीय संस्कृति में अतिथि को देवता मानते हैं। वसुधैव कुटुंबकम की भावना हमारे संस्कारों में रची-बसी है। हमें वैश्विक शांति के पक्ष में मुखर होना होगा।”

डॉ. अनूप श्रमिक, जो पूर्व में गाजा में शांति यात्रा का हिस्सा रह चुके हैं, ने बताया कि “गाजा को रोजाना कम से कम 500 ट्रकों की मदद चाहिए, पर इज़राइल केवल 5-10 ट्रकों को ही अनुमति दे रहा है। यह अमानवीय है।"

दखल संगठन की डॉ. इंदु पांडेय ने कहा, “हम युद्ध नहीं रोक सकते, लेकिन चुप भी नहीं रह सकते। यह उपवास गाजा के बच्चों की पीड़ा को आत्मसात करने का प्रतीक है।”

सभी वक्ताओं ने भारत सरकार से मांग की कि वह अपनी गुटनिरपेक्ष नीति और नेहरूवादी दृष्टिकोण के तहत संयुक्त राष्ट्र और अन्य मंचों पर युद्धविराम और मानवीय सहायता की मांग को पुरजोर तरीके से उठाए।

उपवास में शामिल प्रमुख लोगों में एकता शेखर, फादर प्रवीण, सतीश सिंह, डॉ आनंद प्रकाश तिवारी, रवि शेखर, नीति, दिवाकर, जमालुद्दीन, जकी मुख्तार, और दिशा छात्र संगठन (BHU) से ध्रुव और मुकुल, प्रेरणा कला मंच से फादर दयाकर प्रमुख रहे।

फादर जयंत ने कहा, “गाजा के बच्चों की भूख हमें झकझोर रही है। मानवता की रक्षा हम सभी की साझा जिम्मेदारी है।”