वाराणसी में फिर बढ़ रहा गंगा का जलस्तर, 20 घाटों का संपर्क एक दूसरे से टूटा, मंदिरों में घुसा पानी
वाराणसी, भदैनी मिरर। गंगा का जलस्तर एक बार फिर तेजी से बढ़ने लगा है, जिससे घाट किनारे बसे लोगों की मुश्किलें फिर बढ़ गई हैं। केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक, रविवार सुबह आठ बजे गंगा का जलस्तर 62.78 मीटर रिकॉर्ड किया गया, जो बीते 24 घंटों में 20 सेंटीमीटर की बढ़ोतरी दर्शाता है। शनिवार सुबह जलस्तर जहां 62.58 मीटर पर स्थिर था, वहीं शाम होते-होते इसमें फिर से बढ़ोतरी शुरू हो गई।
घाटों से टूटा संपर्क, मंदिरों में घुसा पानी
अस्सी से लेकर राजघाट तक के करीब दो सौ छोटे-बड़े मंदिरों में गंगा का पानी प्रवेश कर चुका है। घाट किनारे रहने वाले पुजारी, पंडा और नाविक अब अपने जरूरी सामान को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट करने में लगे हुए हैं। सात से अधिक घाट अब पूरी तरह पानी में डूब चुके हैं, जिससे उनका आपसी संपर्क भी टूट गया है।
मणिकर्णिका घाट पर अंतिम संस्कार हो रहा छतों पर
मणिकर्णिका घाट पर बाढ़ का असर शवदाह व्यवस्था पर भी दिख रहा है। लकड़ी विक्रेता कैलाश यादव के अनुसार, जलभराव के चलते घाट तक लकड़ी पहुंचाना मुश्किल हो गया है। जहां पहले जलमार्ग से लकड़ी पहुंचाई जाती थी, अब संकरी गलियों से ट्रॉली के सहारे लाना पड़ रहा है। इससे न केवल समय लग रहा है, बल्कि मेहनत भी दोगुनी हो गई है। लकड़ी की कीमतें 400-500 रुपये प्रति मन से बढ़कर अब 500-600 रुपये तक पहुंच रही हैं।
हर साल की तरह इस बार भी बारिश के चलते गंगा का जलस्तर बढ़ा है, लेकिन चिंता की बात यह है कि बहुत कम समय में पानी का स्तर काफी ऊपर पहुंच गया है। अगर यह सिलसिला यूं ही जारी रहा, तो घाटों का आपसी संपर्क पूरी तरह टूट सकता है। इससे न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियां प्रभावित होंगी, बल्कि घाटों से जुड़ी आजीविकाएं—जैसे नाविकों, पंडों और फूल-प्रसाद बेचने वालों का काम भी बुरी तरह प्रभावित होगा।