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बिजली अभियंताओं और कर्मचारियों ने इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल को किया खारिज 

कहा-5 बार इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल ला चुकी है एनडीए सरकार, हर बार हुआ विरोध

 

केन्द्रीय विद्युत मंत्री को भेजा कमेन्ट, निजीकरण का कोई भी स्वरूप स्वीकार्य नहीं

कैश काउंटर विभागीय रखने के लिए प्रबन्ध निदेशक से मिलेगा संघर्ष समिति का प्रतिनिधिमंडल 

वाराणसी, भदैनी मिरर। संघर्ष समिति के आह्वान पर गुरूवार को लगातार 344 वें दिन बनारस के बिजली कर्मियों ने प्रदेश के समस्त जनपदों की भांति ही बनारस में पूर्वांचल एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के निर्णय के विरोध में व्यापक विरोध प्रदर्शन जारी रखा।
मीडिया प्रभारी अंकुर पाण्डेय ने बताया कि विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के समस्त घटक संगठन के पदाधिकारियों की अहम बैठक भिखारीपुर स्थित हनुमानजी मंदिर पर  हुई। इसमें तय हुआ कि बिजली के निजीकरण के विरुद्ध जारी संघर्ष को और तेज करने हेतु सोमवार से सभी कार्यालयो का दौरा शुरू किया जाएगा। इसके लिए टीम का गठन किया गया। विभागीय कैश काउंटर को मध्यांचल विद्युत निगम, पुराने ठेकेदारों द्वारा कलेक्शन कर भाग जाने के पुराने अनुभव को ध्यान में रखते हुए और कर्मचारी हित में प्रबन्ध निदेशक पूर्वांचल से वार्ता करेगा। उनसे कैश काउंटर विभागीय कर्मचारियों द्वारा ही संचालित कराने की मांग करेगा। 

सभा में वक्ताओं ने कहाकि ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन, बिजलीकर्मियों के सभी राष्ट्रीय फेडरेशन और नेशनल कोऑर्डिनेशन कमिटी आफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स ने इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2025 को समग्रता में अस्वीकार्य कर दिया है। उन्होंने केन्द्रीय विद्युत मंत्री मनोहर लाल खट्टर को ड्राफ्ट बिल 2025 पर कमेन्ट प्रेषित कर दिया है। केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर को प्रेषित पत्र में लिखा गया है कि एनडीए सरकार में यह छठी बार है, जब इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल लाया गया है। इसके पहले वर्ष 2014, वर्ष 2018, वर्ष 2020, वर्ष 2021 और वर्ष 2022 में कुल 5 बार इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल लाया जा चुका है। हर बार इसे व्यापक विरोध के चलते वापस लिया गया है। 

पदाधिकारियों ने बताया कि इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) 2025 पूर्व में लाये गये पांच बिलों जैसा ही है, और इसका उद्देश्य संपूर्ण पॉवर सेक्टर का निजीकरण करना है। यह किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने बताया कि 09 दिसंबर 2021 को संयुक्त किसान मोर्चे के साथ हुए समझौते में तत्कालीन कृषि सचिव ने लिखित दिया था कि किसानों और स्टेक होल्डर्स को विश्वास में लिए बिना इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल नहीं लाया जाएगा, इसलिए यह उसका सरासर उल्लंघन है। बिल में सेक्शन 14, 42 और 43 के माध्यम से निजी कंपनियों को सरकारी क्षेत्र के नेटवर्क का इस्तेमाल करने की अनुमति देना बैक डोर प्राइवेटाइजेशन है। विडंबना यह है कि सरकारी कंपनी नेटवर्क के परिचालन, अनुरक्षण, अपग्रेडेशन और उसके उच्चीकरण पर सारा पैसा खर्च करेगी और इस नेटवर्क का लाभ उठाकर पैसा कमाएंगी प्राइवेट कंपनियां। 

बताया कि ड्राफ्ट बिल में कई आपत्तिजनक बातें हैं, किंतु सेक्शन 86 ई के माध्यम से राज्य के विद्युत नियामक आयोग के सदस्यों को हटाने का अधिकार केंद्र सरकार को देना सीधे-सीधे राज्य के अधिकार में दखल है। ध्यान रहे बिजली संविधान में समवर्ती सूची में है, जिसका तात्पर्य होता है कि बिजली के मामले में केंद्र और राज्य सरकारों के बराबर के अधिकार है। इस संशोधन से राज्य सरकार के अधिकारों का सीधे हनन हो रहा है। इसी प्रकार संशोधन की धारा 166 ए में केंद्रीय इलेक्ट्रिसिटी काउंसिल बनाने का प्रावधान किया गया है। इस काउंसिल के माध्यम से केंद्र सरकार राज्यों को बिजली के मामले में निर्देश दे सकेगी। यह भी समवर्ती सूची में प्रदत्त राज्य सरकारों के अधिकार के विरुद्ध है।

संघर्ष समिति ने कहा कि क्रॉस सब्सिडी समाप्त करने से किसानों, गरीबों और घरेलू उपभोक्ताओं की बिजली की कीमतों में इतनी वृद्धि हो जाएगी कि वे उसे खरीद पाने में सक्षम नहीं होंगे और यह देश को लालटेन युग में ले जायेगी। सभा को ई. मायाशंकर तिवारी, एसके सिंह, राजेन्द्र सिंह, कृष्णा सिंह, अंकुर पाण्डेय, रामकुमार झा, राजेश सिंह, हेमंत श्रीवास्तव, उदयभान दुबे, जयप्रकाश, रंजीत पटेल, कृष्णमोहन, पंकज यादव, अजित वर्मा, बृजेश यादव, अजय पाण्डेय आदि ने संबोधित किया।