{"vars":{"id": "125128:4947"}}

देव दीपावली : काशी में मां गंगा की गोद से झिलमिलाई आस्था, लाखों दीपों से जगमगाए अर्धचंद्राकार घाट

चेतसिंह घाट पर थ्रीडी शो, गंगा पार रेत पर ग्रीन क्रैकर्स शो ने जगाया उत्साह, दशाश्वमेध घाट पर शहीद जवानों की दी गई श्रद्धांजलि 

 

नमो घाट पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने किया पहला दीप प्रज्वलित, पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह भी रहे शामिल

क्रूज़ से सीएम ने देखी मां गंगा की आरती, जनता ने किया स्वागत

वाराणसी, भदैनी मिरर। देव दीपावली के पावन पर्व पर बुधवार की शाम काशी के अर्धचंद्राकार गंगा घाट असंख्य दीयों, झालरों, थ्रीडी शो, ग्रीन क्रैकर्स शो और सैकड़ों हाइलोजन लाइटों की रौशनी से नहा उठे। विश्व प्रसिद्ध देव दीपावली की छटा देखने के लिए हर गली, सड़क और घाटों पर भीड़ का रेला। एक ओर पूरा शहर दिव्यता और भव्यता के अद्भुत संगम में डूबकी लगा रहा था तो दूसरी ओर भीड़ में फसकर लोग धक्के खा रहे थे। घाटों की सीढ़ियों पर जलते लाखों दीपों की रोशनी अद्भुत छटा बिखेर रही थी। वहीं लोग इस विहंगम दृश्य को अपने कमरों में समेटने की होड़ में लगे थे। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नमो घाट पर पहला दीप प्रज्वलित किया। उनके साथ पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह, राज्य मंत्री रविन्द्र जायसवाल, विधायक डॉ नीलकंठ तिवारी, जिला पंचायत अध्यक्ष पूनम मौर्य, महापौर अशोक तिवारी रहे। 

सभी विशिष्ट अतिथियों ने क्रूज़ पर सवार होकर मां गंगा की आरती के साथ घाटों पर सजी देव दीपावली के अद्भुत नज़ारे का अवलोकन किया। इस दौरान जनता ने हर हर महादेव का जयघोष किया। मुख्यमंत्री ने हाथ हिलाकर काशी की जनता और पर्यटकों का अभिवादन किया। 
धर्म के साथ राष्ट्रीयता का संदेश देते हुए दशाश्वमेध घाट पर ‘अमर जवान ज्योति’ की अनुकृति स्थापित की गई। यहां पर कारगिल युद्ध के वीर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। देव दीपावली महोत्सव को ऑपरेशन सिंदूर के नाम समर्पित किया गया, जिसमें देश की वीर माताओं के आंचल को नमन किया गया। बताया जाता है कि इस बार 15 से 25 लाख दीये घाटों पर जलाये गये। इन दीपों में 1 लाख गाय के गोबर से निर्मित पर्यावरण अनुकूल दीप भी शामिल थे। लोगों ने घाटों के अलावा काशी के तालाबों, कुंडों और देवालयों पर दीपों की शृंखला ने काशी को सुनहरी माला की तरह सजा दिया।

आकर्षण का केंद्र बना ‘काशी-कथा’ थ्रीडी शो

चेत सिंह घाट पर ‘काशी-कथा’ थ्रीडी शो लोगों के आकर्षण का केंद्र बना। परंपरा के साथ आधुनिकता का संगम देखने को मिला। यहां 25 मिनट का थ्रीडी प्रोजेक्शन मैपिंग शो ‘काशी-कथा’ प्रस्तुत किया गया। इसमें भगवान शिव-पार्वती विवाह, भगवान विष्णु की चक्र पुष्करिणी, भगवान बुद्ध के उपदेश, कबीर-दास और तुलसीदास की भक्ति परंपरा और महामना मदन मोहन मालवीय द्वारा स्थापित काशी हिंदू विश्वविद्यालय तक की यात्रा का दृश्य जीवंत किया गया।

गंगा पार रेत पर ‘कोरियोग्राफ और सिंक्रोनाइज ग्रीन क्रैकर्स शो

उधर, गंगा पार रेत पर ‘कोरियोग्राफ और सिंक्रोनाइज ग्रीन क्रैकर्स शो’ ने पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। आसमान में गूंजती संगीतबद्ध आतिशबाज़ी और गंगा की लहरों पर प्रतिबिंबित रंगों ने दृश्य को और भी दिव्य बना दिया। इसके अलावा दशाश्वमेध घाट की महाआरती में 21 अर्चक और 42 देव कन्याओं ने रिद्धि-सिद्धि के रूप में आरती की। 21 कुंटल फूलों और 51 हजार दीपों से सजे घाट पर जब शंखनाद और घंटा-घड़ियालों की ध्वनि गूंजी, तो वातावरण में अद्भुत ऊर्जा का संचार हो गया। इस अवसर पर अमर वीर योद्धाओं को ‘भगीरथ शौर्य सम्मान’ से सम्मानित किया गया। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना हुई। बाबा के दरबार को फूलों और रोशनी से भव्य रूप में सजाया गया। धाम का पूरा परिसर दीपों की उजास से जगमगा उठा। श्रद्धालुओं की भीड़ और वीवीआईपी उपस्थिति को देखते हुए वाराणसी को नो-फ्लाई जोन घोषित किया गया था। बिना अनुमति ड्रोन उड़ाने पर प्रतिबंध रहा। घाटों पर एनडीआरएफ और जल पुलिस की टीमें बोट्स, आधुनिक उपकरणों और वाटर एम्बुलेंस के साथ तैनात रहीं। नदी मार्ग पर नावों के लिए लेन निर्धारण किया गया। नाविकों को निर्धारित दिशा और सुरक्षा नियमों के पालन के निर्देश दिए गए। सड़कों पर यातायात, पार्किंग और प्रवेश-निकास की व्यवस्था पूरी तरह नियंत्रित रही। महिलाओं की सुरक्षा के लिए सादी वर्दी में महिला पुलिसकर्मियों, एंटी रोमियो स्क्वॉड और क्यूआरटी टीमों को तैनात किया गया।