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आओ कह दो दुनिया से दर्द बताना आता है...अस्सी घाट पर कविताओं, गीत-गजलों से सजी 'काव्यार्चन' की 41वीं कड़ी

 

वाराणसी, भदैनी मिरर। अस्सी घाट की सुबह मंगलवार को एक बार फिर शब्दों की सरिता में डूब गई, जब 'सुबह बनारस आनंद कानन' की ओर से आयोजित ‘काव्यार्चन’ के 41वें सत्र में कवियों, गीतकारों और श्रोताओं की भावनाएं एक सुर में बंध गईं।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे पंडित सूर्य प्रकाश मिश्रा की उपस्थिति में काव्य पाठ का शुभारंभ आनंद कृष्ण श्रीवास्तव ‘मासूम’ ने अपनी भावनात्मक रचना से किया- आओ कह दो दुनिया से दर्द बताना आता है, आओ ठहरो पास अगर पत्थर पिघलना आता है।”

कार्यक्रम का संचालन डॉ. नागेश शांडिल ने किया, जिन्होंने रचनाकारों को एक सधे हुए क्रम में मंच से जोड़ते हुए श्रोताओं को भावविभोर किया।

गीत, ग़ज़ल और भक्ति का समन्वय

कुमार महेन्द्र ने मानसून की सुंदरता को अपनी ग़ज़ल में पिरोते हुए सुनाया- हवा में सोंधी खुशबू घोल दी बरसात ने, दादुर चेंखुर के कंठ को बोल दी बरसात ने।”

काशी के बहुचर्चित संगीतकार पंडित अमित त्रिवेदी ने भी अपनी काव्य प्रतिभा से कार्यक्रम में नया रंग भरते हुए सुनाया-“आज सुबह आंखें भर आई, दृश्य ही था ऐसा दुखदाई, किसी को तिल तिल मरते देखा, और कोई दे रहा था दुहाई।” साथ ही उन्होंने एक राम भजन से श्रद्धा और भाव का संचार किया।

दिल्ली विश्वविद्यालय के सहायक आचार्य डॉ. राजकुमार उपाध्याय ‘मणि’ अतिथि रचनाकार के रूप में मंच पर आए और पति-पत्नी के संबंधों को नई दृष्टि से प्रस्तुत करते हुए कहा-“पत्नी अर्धांगिनी ही नहीं, पुरुष की आत्मा के विराट फलक है।”

नई पीढ़ी को जोड़ती पुरानी भावनाएं

कार्यक्रम के अध्यक्ष पंडित सूर्य प्रकाश मिश्रा ने अपने गीतों के माध्यम से नई पीढ़ी को पारंपरिक मूल्यों से जोड़ने का प्रयास किया- तुम शीशे के उस पार कहीं, मैं छूट गया इस पर प्रिये, रिश्तों के आंगन चौबारे, सब बदल गए आकार प्रिये।”

कार्यक्रम की शुरुआत में रचनाकारों का स्वागत डॉ. नसीम निशा ने किया, जबकि बालेश्वर तिवारी, संतोष प्रीत, नवल किशोर गुप्ता और प्रताप शंकर दुबे ने माल्यार्पण कर सम्मानित किया। सभी रचनाकारों को डॉ. जयप्रकाश मिश्रा, अरुण द्विवेदी, प्रो. वत्सला श्रीवास्तव, महेंद्र तिवारी ‘अलंकार’, परमहंस तिवारी और विजयशेखर उपाध्याय ने प्रमाण पत्र प्रदान किए।

कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन ‘काव्यार्चन’ के संयोजक रुद्रनाथ त्रिपाठी ‘पुंज’ ने किया।