{"vars":{"id": "125128:4947"}}

BHU के प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग में शताब्दी समारोह का शुभारंभ

पूरे वर्ष भर आयोजित किये जाएंगे विभिन्न कार्यक्रम

 

कुलपति ने किया विभाग के अवकाश प्राप्त शिक्षकों को सम्मानित

 वाराणसी, भदैनी मिरर। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) के कला संकाय के प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के स्थापना के सौ वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में शताब्दी समारोह का आयोजन किया जा रहा है। यह समारोह पूरे वर्ष भर चलेगा जिसमें विभिन्न कार्यक्रम किये जाएंगे। बुधवार को विभाग के भारती सभागार में शताब्दी समारोह का शुभारंभ कुलपति प्रो. अजित कुमार चतुर्वेदी के उपस्थिति में हुआ। इस मौके पर कुलपति ने कहाकि यह पहला मौका है जब बीएचयू के किसी विभाग के शताब्दी समारोह में उपस्थित हुआ।   

प्रो. चतुर्वेदी ने कहा कि अतीत का अवलोकन करते हुए भविष्य की योजना बनाई जाय, ताकि विभाग सौ साल के इतिहास को और अधिक फलीभूत कर सकें। भविष्य की योजना अकादमिक भागीदारी और शोध कार्य पर केन्द्रित हो, जिससे विभाग का अकादमिक स्तर वैश्विक स्तर पर ख्यातिलब्ध हो। कुलपति ने कहाकि शोध के लिए अन्य विभागों को सम्मिलित करें ताकि नये विषय मिल सके। उन्होंने सुझाव दिया कि शताब्दी समारोह के अंत में विभाग में हो रहे शोध कार्य पर एक पुस्तक का संपादन हो। इसमें विभाग में अब तक के हुए शोध कार्य में से सबसे उच्च कोटि के शोध कार्य-जिनको अकादमिक जगत में उच्च स्थान प्राप्त हो उनको सम्मिलित किया जाय। ऐसा करने से इतिहास तथा पुरातत्व में विभाग का योगदान तथा मानव के विकास में इतिहास और पुरातत्व के योगदान को समझने का मौका मिलेगा। कहा कि शताब्दी समारोह के उपलक्ष्य में ही विभाग का एक वेबसाइट बनाया जाना चाहिए जहां विभाग से जुड़े विद्वत जनों का साक्षात्कर, शोध कार्य और विभाग से जुड़ी सारी जानकारी एक जगह उपलब्ध हो।

उन्होंने कहाकि शताब्दी समारोह के कड़ी में ही पुरा विद्यार्थियों का एक व्याख्यान शृंखला आयोजित हो ताकि नये विद्यार्थियों को भविष्य की राह दिख सके। 
उद्धाटन सत्र में कला संकाय की प्रमुख प्रो. सुषमा घिल्डियाल ने कहा कि एआईएचसी विभाग सौ साल की गौरवशाली इतिहास को आगे भी बनाये रखे, ताकि वैश्विक स्तर पर विभाग का परचम लहराता रहे। विभाग के सहायक आचार्य डॉ. सचिन तिवारी ने विभाग की सौ वर्ष की यात्रा का कालक्रम में विस्तारपूर्वक वर्णन किया। डॉ. तिवारी ने विभाग की नींव पड़ने से लेकर विभाग के विभिन्न इकाईयों के गठन की अवधि तथा उसमें महत्वपूर्ण योगदान देने वाले अधिकारियों के बारे में बताया। 

इस मौके पर कुलपति ने विभाग के अवकाश प्राप्त शिक्षकों को सम्मानित किया। साथ ही विभाग का ब्रोशर समेत डॉ. माहेश्वरी प्रसाद द्वारा रचित ‘महाभारत में समाज-सुधार, अहिंसा एवं शान्ति विषयक चिन्तन’ पुस्तक तथा ‘द जर्नल ऑफ द नूमिस्मेटिक सोसायटी ऑफ इंडिया’ पत्रिका का विमोचन किया। इसके साथ ही विभागाध्यक्ष के कार्यालय और विभागीय उत्खनन प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। प्रो. चतुर्वेदी ने विभाग के उद्यान क्षेत्र में कल्पवृक्ष और बोधिवृक्ष के पौधे लगाये। स्वागत विभागाध्यक्ष प्रो. एम. पी. अहिरवार ने किया। वरिष्ठ आचार्य प्रो. डी. के. ओझा ने विभाग से अवकाश प्राप्त शिक्षकों का परिचय दिया। संचालन प्रो. सुजाता गौतम और धन्यवाद ज्ञापन प्रो. प्रभाकर उपाध्याय ने किया।