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रेलवे पार्सल घर में 30 साल से पड़ा था कारतूस, कमेटी को सौंपा

1996 में बैंगलोर से वाराणसी पार्सल पहुंचा था पार्सल 

 

पार्सल में थे 12 बोर के 2015 कारतूस, एक्सपायरी हो चुका था

गलने लगे थे कारतूस, किया जाएगा निस्तारित

वाराणसी, भदैनी मिरर। वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन के पार्सल घर में करीब 30 वर्षों से लावारिस पड़े 2015 एक्सपायरी कारतूसों को शुक्रवार रेलवे प्रशासन ने कमेटी को सिपूर्द कर दिया। यह कारतूस 1996 में बैंगलोर से वाराणसी पार्सल पहुंचा था। इस दौरान इसे लेने कोई नही आया। पार्सल में 12 बोर के कारतूस थे। पेटी में भरी कारतूस एक्सपायरी होने की वजह से  गलने लगी थी। इस एक्सपायरी कारतूस के बारे में पहले भी खबरें प्रकाशित होती रहीं। लेकिन अब उस कारतूस के निस्तारण के लिए रेलवे प्रशासन की पहल पर कमेटी बनाई गई। शुक्रवार को इन कारतूसों को कमेटी के हवाले कर दिया गया। 

पार्सल पर स्पष्ट नही था पता, कोई लेने भी नही आया

खबरों के मुताबिक साल 1996 में कारतूस की इस पेटी का टिकट पार्सल श्रेणी में बुकिंग करवाया गया था। लेकिन पार्सल पर नाम पता साफ़ नहीं होने से उसे रेलवे ने नहीं भेजा और न ही इस पार्सल को कोई लेने आया। इसके कारण अभी तक यह रेलवे के पार्सल विभाग में पड़ा हुआ था। हालांकि एक्सपायरी गोलियों के फटने या उनमें विस्फोट होने के डर से पहले रेलवे के कर्मचारी सहमे हुए थे। सुरक्षा की दृष्टी से इस पार्सल को गोदाम में बने एक अलग कमरे में रख दिया गया था। बाद में जब वह खुद गलने लगा तो कर्मचारियों को भी लग गया कि अब उसका दम निकल गया है। 

नीलाम नही कर सकता था रेलवे

कैंट रेलवे स्टेशन के एक अधिकारी ने बताया कि यह कारतूस बैंगलोर के सिटी बुकिंग एजेंसी से साल 1996 में आया था। कोई लेने नहीं आया। पार्सल साल 1996 से ही यहां पड़ा हुआ था। रेलवे में अगर किसी पार्सल को 6 महीनों तक कोई लेने नहीं आता तो उसे रेलवे नीलाम कर देता है। लेकिन कारतूस जैसी चीजों को रेलवे नीलाम नहीं करता।