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BHU के कुलपति ने संभाला कार्यभार, यहीं से की थी अपने कैरियर की शुरुआत 

दर्शन-पूजन कर संभाला 29वें कुलपति का चार्ज, जाने उपलब्धियां 

 

वाराणसी,भदैनी मिरर। सात महीने बाद नियुक्त हुए बीएचयू के कुलपति प्रोफेसर अजीत कुमार चतुर्वेदी ने दर्शन-पूजन के बाद शनिवार को केंद्रीय कार्यालय में अपना चार्ज संभल लिया। वह बीएचयू ने 29 वें कुलपति हैं। चार्ज सँभालने से पहले वह पारम्परिक रूप से बाबा विश्वनाथ, श्री काल भैरव मंदिर में मत्था टेका और आशीष लेकर बीचयू स्थित विश्वनाथ मंदिर में सपरिवार पूजन-अर्चन किया। बीएचयू से अपने कैरियर की शुरुआत करते वाले वर्तमान कुलपति ने कहा कि न केवल विवि की यादें ताजा हो गई, बल्कि महामना की बगिया को सहेजने और सँवारने का एक बेहतर मौका मिला है। 


बता दें, प्रोफेसर चतुर्वेदी ने अपने पेशेवर जीवन की शुरुआत काशी हिंदू विश्वविद्यालय से ही की थी, जिसे अब वे नेतृत्व देने जा रहे हैं। उन्होंने 1994 से 1996 तक इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी-बीएचयू (वर्तमान में आईआईटी-बीएचयू) के इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग विभाग में सेवा दी। इसके बाद वे आईआईटी रुड़की के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं कंप्यूटर इंजीनियरिंग विभाग से बतौर शिक्षक जुड़े। वर्ष 1999 में वे आईआईटी कानपुर चले गए, जहाँ उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभागाध्यक्ष, डीन, अनुसंधान एवं विकास, तथा संस्थान के उप-निदेशक जैसे अनेक महत्वपूर्ण प्रशासनिक दायित्वों का निर्वहन किया।

जनवरी 2017 से अक्टूबर 2022 तक वे आईआईटी रुड़की के निदेशक रहे। इस अवधि के दौरान उन्होंने आईआईएएस शिमला (जनवरी 2017 से अगस्त 2018) तथा आईआईटी मंडी (जुलाई 2020 से जनवरी 2022) के निदेशक का दायित्व भी संभाला।  प्रोफेसर चतुर्वेदी ने आईआईटी कानपुर से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बी.टेक. (1986), एम.टेक. (1988) और पीएच.डी. (1995) की उपाधियाँ प्राप्त की हैं। वे बीएसएनएल-आईआईटी कानपुर टेलीकॉम सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के समन्वयक भी रहे हैं, जिसके अंतर्गत भारतीय दूरसंचार क्षेत्र से जुड़े कई परियोजनाएं सम्पन्न की गईं।

 
प्रोफेसर चतुर्वेदी को शिक्षण एवं अनुसंधान में उत्कृष्ट योगदान के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है, जिनमें इनसा टीचर्स अवार्ड, आईआईटी कानपुर का डिस्टिंग्विश्ड टीचर अवार्ड तथा नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी, सिंगापुर, से प्राप्त तान चिन तूआन फैलोशिप प्रमुख हैं। वे टेलीकॉम स्टैंडर्ड्स डेवलपमेंट सोसाइटी ऑफ इंडिया (TSDSI) के संस्थापक सदस्य भी रहे हैं। इसके अतिरिक्त, वे भारत सरकार के दूरसंचार विभाग द्वारा गठित उस समिति के सदस्य भी थे, जिसने वर्ष 2008 में दूरसंचार ऑपरेटरों को स्पेक्ट्रम आवंटन के मानदंडों की सिफारिश की थी। उनका शोध क्षेत्र संचार सिद्धांत और वायरलेस कम्युनिकेशन है।

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