मदरसों का प्रबंधन भविष्य में नही कर सकेगा शिक्षकों की भर्ती, आयोग को दिया जाएगा अधिकार
अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने प्रस्ताव तैयार किया प्रस्ताव, जल्द कैबिनेट के सामने रखा जाएगा
प्रदेश में हैं 13329 मान्यता प्राप्त मदरसे, मदरसों में भी अब यूपी बोर्ड की तरह होंगे विषय
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अनुदानित मदरसों का प्रबंधन अब शिक्षकों की भर्ती नहीं कर सकेगा और भर्ती का अधिकार उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग को दिया जाएगा। इसके लिए अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने प्रस्ताव तैयार कर लिया और इसे जल्द ही कैबिनेट के सामने रखा जाएगा।
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से पिछले दिनों मदरसा शिक्षा व्यवस्था में सुधार के निर्देश दिए गये थे। आपको बता दें कि प्रदेश में 13329 मान्यता प्राप्त मदरसे हैं। इनमें 1235400 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं।
इन मदरसों में 9,979 प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्तर (कक्षा 1 से 8) और 3,350 माध्यमिक व उच्चतर माध्यमिक स्तर (कक्षा 9 से 12) के हैं। इनमें 561 मदरसे राज्य सरकार से अनुदानित हैं और 231806 छात्र पंजीकृत हैं। अनुदानित मदरसों में कार्यरत शिक्षकों और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की संख्या क्रमशः 9889 और 8367 है। इन कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियों के अनुसार 1 जनवरी 2016 से वेतन और भत्ते प्राप्त हो रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, अबतक मदरसों में जितने शिक्षकों की भर्ती हुई है, उसे उनके प्रबंधन ने ही किया है। अगला वेतनमान भी प्रबंधन के फैसले पर ही दिया गया। भविष्य में अनुदानित मदरसों के प्रबंधन से यह अधिकार वापस ले लिया जाएगा।
बताया जा रहा है कि मदरसा शिक्षा में सुधार के लिए उच्चस्तरीय समिति ने अपनी संस्तुतियां तैयार कर ली हैं। अब इसे उच्चस्तर पर विचार के लिए रखा जाएगा। मदरसों में भी अब यूपी बोर्ड की तरह विषय होंगे। इंटरमीडिएट में कला, वाणिज्य और विज्ञान संकाय भी होंगे। उर्दू, अरबी और फारसी इसके साथ पढ़ाए जाएंगे। हालांकि बहुत पहले से मदरसों की शिक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल उठाये जा रहे थे और इस पर दोनों पक्षों में मतभेद आज भी कायम है। प्रबंधन और कर्मचारियों के टकराव की खबरें आती रहती हैं। अब इस नयी व्यवस्था से मदरसों के छात्र अन्य विषयों की शिक्षा ग्रहण कर पाएंगे।