सोनभद्र खदान हादसा: 70 घंटे बाद रेस्क्यू ऑपरेशन खत्म, सात मजदूरों के शव मिले; प्रशासन बोला– अब अंदर कोई नहीं
ओबरा की पत्थर खदान में तीन दिन से चल रहे राहत-बचाव अभियान का समापन, प्रशासन ने दी जांच के निर्देश—इलाके में पसरा मातम
सोनभद्र। ओबरा क्षेत्र स्थित पत्थर खदान में शनिवार दोपहर हुए हादसे के बाद शुरू हुआ रेस्क्यू ऑपरेशन करीब 70 घंटे बाद मंगलवार को समाप्त हो गया। जिला प्रशासन ने पुष्टि की है कि मलबे में दबे सभी सात मजदूरों के शव बरामद कर लिए गए हैं। अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि अंदर अब कोई अन्य मजदूर फंसा नहीं है, इसलिए राहत-बचाव अभियान को औपचारिक रूप से समाप्त कर दिया गया है।
कैसे हुआ था हादसा
शनिवार दोपहर करीब ढाई बजे खदान में ड्रिलिंग कार्य के दौरान अचानक ऊपर की ओर स्थित विशाल चट्टान टूटकर नीचे आ गई। चट्टान गिरते ही भारी मात्रा में मलबा मजदूरों पर ढह गया।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक हादसे के समय खदान में 18 मजदूर कार्यरत थे, जिनमें से 15 लोगों के दबे होने की आशंका जताई गई थी। हालांकि रेस्क्यू टीमों को सात मजदूरों के ही शव बरामद हुए।
बेहद चुनौतीपूर्ण रहा रेस्क्यू अभियान
घटना की सूचना मिलते ही जिला प्रशासन, पुलिस, फायर ब्रिगेड और आपदा प्रबंधन की टीमें मौके पर पहुंच गईं। खदान की कठोर चट्टानी संरचना, गहराई और लगातार सरकते मलबे के कारण बचाव कार्य अत्यंत चुनौतीपूर्ण रहा। स्थिति को देखते हुए एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की संयुक्त टीम भी बुलानी पड़ी।
विशेष मशीनों से मलबा हटाया गया और कई जगहों पर चट्टानों को काटकर रास्ता बनाया गया। तीन दिनों से अधिक समय तक लगातार चल रहे प्रयासों के बाद सोमवार देर रात से मंगलवार सुबह तक सभी शव निकाल लिए गए।
प्रशासन ने दी अभियान खत्म करने की घोषणा
मंगलवार को मौके पर पहुंचे डीएम बद्रीनाथ सिंह ने बताया कि मलबे के हर हिस्से की गहन जांच की जा चुकी है। उन्होंने कहा- “अब अंदर किसी भी मजदूर के दबे होने की संभावना नहीं है। रेस्क्यू अभियान समाप्त किया जा रहा है।”
डीएम ने यह भी कहा कि पीड़ित परिवारों को हर संभव मदद उपलब्ध कराई जाएगी। हादसे की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने जांच के आदेश भी दिए हैं।
इलाके में शोक और गुस्सा
इस दर्दनाक हादसे ने पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ा दी है। स्थानीय लोगों ने खदानों में सुरक्षा मानकों को लेकर नाराजगी जताई तथा सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने की मांग की है।