सोनभद्र खनन हादसा : चार और मजदूरों के शव निकाले गये, अबतक 5 शव निकाले गये
पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मौके पर, शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया
सोनभद्र, भदैनी मिरर। सोनभद्र खनन हादसा के सोमवार को मलबे से दो सगे भाइयों समेत चार और मजदूरों के शव बरामद हुए। रविवार की रात एक शव बरामद हुआ था। इसके साथ ही मृतकों की संख्या पांच पहुंच गई।
सोनभद्र जिले के ओबरा के बिल्ली मारकुण्डी स्थित पत्थर खदान में चट्टान धंसने से हुए हादसे से लोग सहमे हैं। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ को पिछले 45 घंटे से रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। मलबे के नीचे कुछ अन्य मजदूरों के भी दबे होने की आशंका के मद्देनजर टीम युद्धस्तर पर चट्टानों को तोड़कर रास्ता बनाने और मलबा हटाने में का कार्य हो रहा है। बड़ी चट्टाने राहत कार्य में सबसे बड़ा अवरोध बनी हुई हैं। बड़ी चट्टान के हटाए जाने के बाद मजदूरों की सही संख्या का पता चल सकेगा।
मलबे से अब तक पनारी गांव के कर्मसार टोला के रहनेवाले इंद्रजीत यादव (32), उसके भाई संतोष यादव (30), कोन के कचनरवा के रविंद्र उर्फ़ नानक और एक अन्य मजदूर शामिल हैं। इससे पहले रविवार की देर रात अमरेनिया निवासी राजू गोंड का शव निकाला गया था। यह चारो शव रविवार की रात 11 बजे से सुबह 4 बजे के बीच निकाले गये। शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। मृतकों के परिजन भी पहुंच गये हैं। इस हादसे के बाद से ही मजदूरों के परिजनों में कोहराम मच गया है। जो मजदूर अभी लापता हैं उनके परिजन उनकी सलामती की दुआएं कर रहे हैं।
आपको बता दें कि ओबरा थाना क्षेत्र के बिल्ली मारकुंडी खनन क्षेत्र में स्थित श्रीकृष्णा माइनिंग वर्क्स की खदान में शनिवार की दोपहर बाद ड्रिलिंग के दौरान पत्थर की खदान धंस गई। खदान में काम कर रहे कई मजदूर दब गए और अफरातफरी मच गई। वहां मौजूद लोगों ने बताया कि 15 से ज्यादा मजदूर काम कर रहे थे। कुछ मजदूरों ने भागकर अपनी जान बचाई। बताया जाता है कि हादसे के समय खदान में नौ कंप्रेशर मशीनों से ब्लास्टिंग के लिए होल किए जा रहे थे। हादसे की सूचना पर डीएम, एसपी सहित अन्य अधिकारी मौके पर पहुंचे। राहत कार्य के लिए एसडीआरएफ की टीम मौके पर है।
ओबरा थाना क्षेत्र के राजकीय पीजी कॉलेज के पास खदान घंसने की घटना ने 17 फरवरी 2012 में शारदा मंदिर के पास हुए हादसे की याद ताजा कर दी है। उस समय भी गहरी खदान का एक हिस्सा दरकने से 12 मजदूरों की मौत हो गई थी। इस घटना के समय खदान में ब्लास्टिंग के बाद पत्थर निकासी का काम चल रहा था। इसी दौरान हाइटेंशन टावर गिर पड़े। इससे खदान का एक हिस्सा भरभराकर ढह गया और उसमें 12 मजदूरों की दबकर मौत हो गई थी।