सरसों तेल चोरी में दलित युवक को पीट-पीटकर मार डाला, RPF ने किया थर्ड डिग्री का इस्तेमाल !
गोंडा जिले के मोतीगंज के किनकी गांव के संजय सोनकर की मौत, परिवार ने लगाये गंभीर आरोप
भाई की तहरीर पर RPF के SI सुरेंद्र कुमार, करन सिंह यादव, कांस्टेबल अमित यादव व एक अज्ञात के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज
गोंडा। मालगाड़ी के वैगन का लॉक तोड़कर सरसों तेल चोरी आरोप में गोंडा रेलवे सुरक्षा बल (RPF) पूछताछ के लिए ले लिए अनुसूचित जाति के युवक संजय कुमार सोनकर (36) को ले गई और उसकी मौत हो गई। मोतीगंज के किनकी गांव निवासी संजय सोनकर के परिवारवालों को आरोप है कि पुलिस ने हिरासत में उसकी जबर्दस्त पिटाई की। थर्ड डिग्री का इस्तेमाल किया और पीट-पीटकर उसकी हत्या कर दी। बाद में लाश फेंक कर भाग निकले। इस मामले में नगर कोतवाल विवेक त्रिवेदी ने बताया कि मृतक संजय के भाई राजू सोनकर की तहरीर पर आरपीएफ के एसआई सुरेंद्र कुमार, करन सिंह यादव, कांस्टेबल अमित कुमार यादव व एक अज्ञात के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया है। विभागीय जांच की जा रही है। इस घटना से ग्रामीणों और खासकर दलित समाज में गहरा आक्रोश है।
किनकी गांव के मृतक संजय सोनकर के भाई राजू सोनकर ने बताया कि मंगलवार की सुबह 11.30 बजे आरपीएफ के तीन जवान उसके घर आए। सरसों तेल चोरी का आरोप लगाकर छोटे भाई संजय को पूछताछ के लिए साथ ले गये। इसके बाद शाम 4.30 बजे आरपीएफ वाले संजय को दोबारा कार से लेकर आए और यहां से बरुआ गांव में एक दुकानदार के पास ले गए। फिर आरपीएफ के एसआई सुरेंद्र कुमार, करन सिंह यादव, कांस्टेबल अमित कुमार यादव व एक अन्य ने भाई को जबर्दस्त पिटाई की। इसी दौरान मेरे भाई की मौत हो गई। इसके बाद आरपीएफ वाले भाई के शव को मेडिकल कालेज में छोड़कर भाग गए। हमलोग संजय के बारे में पता लगा रहे थे। तभी बुधवार सुबह हमें बताया गया कि संजय अस्पताल में भर्ती है।
दरअसल मामला यह था कि बरुआचक रेलवे स्टेशन के पास 28 सितम्बर को मालगाड़ी के वैगन का लॉक तोड़कर सरसों तेल चोरी के मामले में आरपीएफ मुकदमा दर्ज कर आरोपितों की तलाश कर रही थी। इस दौरान संदेह के आधार पर आरपीएफ की टीम कई बार बरुआ और किनकी गांव गई और लोगों से पूछताछ की। मृतक के भाई राजू के बारे में आरपीएफ का कहना था कि उसको चोरी में शामिल लोगों की जानकारी है। आरपीएफ अक्सर गांव के लोगों को धमकाती रही, जिससे ग्रामीण दहशत में आ गये। मृतक के परिवारवालों का कहना है कि मंगलवार को आरपीएफ ने संजय को घर से उठा लिया। इसके बाद बुधवार सुबह उन्हें संजय के मौत की खबर मिली।
अब इस मामले में आरपीएफ इंस्पेक्टर अनिरुद्ध राय ने बताया कि संजय को पकड़ने के बाद टीम ने उससे एक अन्य आरोपित रामफेर के बारे में पूछताछ की। संजय ने बताया कि रामफेर मनकापुर अपने ससुराल में है। फिर टीम संजय को लेकर मनकापुर चली गई। लेकिन रामफेर वहां नही मिला। आरपीएफ दूसरे ठिकानों पर दबिश देती रही। वहां से लौटते समय संजय को मेडिकल कॉलेज ले जाया गया। लेकिन इंस्पेक्टर बीच की कहानी को पचा ले गये। अब हिरासत में ले जाने के बाद उसे मेडिकल कालेज क्यां ले जाना पड़ा वह भी मृत अवस्था में। यह कुछ ऐसे सवाल हैं जो आरपीएफ के गले की हड्डी बन गये हैं।
उधर, पता चला कि संजय के शव को पोस्टमार्टम डॉ. कुलदीप पांडेय के नेतृत्व में तीन चिकित्सकों के पैनल ने किया। बताया जा रहा है कि मौत का कारण स्पष्ट नही है। बिसरा सुरक्षित रख लिया गया है। अब परिवारवालों को यहां भी झोल लग रहा है। क्या संजय हिरासत में वैसे ही मर गया? यदि उसकी पिटाई नही हुई और उसे प्रताड़ित नही किया गया तो मौत कैसे हो गई? मेडिकल रिपोर्ट में कम से कम चोटों का तो जिक्र होता। लगभग 12 घंटे तक संजय आरपीएफ कस्टडी में रहा लेकिन उसे आरपीएफ पोस्ट नही ले जाया गया। इस दौरान उसके साथ क्या हुआ और क्यों रात में आरपीएफ उसकी लाश मेडिकल कॉलेज में छोड़कर क्यों भागी।
संजय की मौत के बाद से उसके घर कोहराम मच गया। उसकी पत्नी गीता रह-रहकर बेहोश हो जा रही थी। उसकी हालत इतनी खराब हो गई कि उसे परिवार के लोगों को गोद में उठाकर इमरजेंसी ले जाना पड़ा। इलाज के बाद उसे होश आ सका। लेकिन इस घटना से गीता और उसके परिवार को गहरा सदमा लगा है। इस मामले में आरपीएफ के डीआईजी चंद्रमोहन मिश्र ने कहाकि आरपीएफ पोस्ट गोंडा के कर्मियों की अभिरक्षा में युवक की मौत का मामला गंभीर है। इस मामले में कोर्ट ऑफ इंक्वायरी होगी। जांच में जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।