एफआईआर, गिरफ्तारी मेमो आदि में अब नही होगा जाति का उल्लेख, जातिगत रैलियों पर पूर्ण प्रतिबंध
इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद कार्यवाहक मुख्य सचिव दीपक कुमार ने जारी किया निर्देश
सपा मुखिया अखिलेश यादव ने किया एक्स पर पोस्ट, सरकार से पूछे पांच सवाल
लखनऊ। यूपी सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश के बाद प्रदेश में एक अहम बदलाव कर दिया। कार्यवाहक मुख्य सचिव दीपक कुमार ने हाईकोर्ट के आदेश के तहत निर्देश दिए हैं कि एफआईआर, गिरफ्तारी मेमो आदि में जाति का उल्लेख हटाया जाय। साथ ही माता-पिता के नाम जोड़े जांय। इसके साथ ही थानों के नोटिस बोर्ड, वाहनों और साइनबोर्ड से जातीय संकेत और नारे हटाए जाएंगे। इसके साथ ही जाति आधारित रैलियों पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा।
सोशल मीडिया पर भी सख्त निगरानी रहेगी। हालांकि, आदेश में कहा गया है कि एससी-एसटी एक्ट जैसे मामलों में छूट रहेगी। आदेश के पालन के लिए पुलिस नियमावली में भी संशोधन किया जाएगा। बता दें कि कुछ समय पहले कोर्ट द्वारा आदेश दिया गया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद पुलिस रिकॉर्ड और सार्वजनिक स्थलों पर नाम के साथ जाति का उल्लेख नहीं किया जाएगा। जाति आधारित रैलियों पर भी प्रतिबंध रहेगा।
अखिलेश यादव का सरकार से सवाल
उधर, इस आदेश के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सरकार से पांच सवाल किये हैं। लिखा कि 5000 सालों से मन में बसे जातिगत भेदभाव को दूर करने के लिए क्या किया जाएगा? वस्त्र, वेशभूषा और प्रतीक चिन्हों के माध्यम से जाति-प्रदर्शन से उपजे जातिगत भेदभाव को मिटाने के लिए क्या किया जाएगा? किसी के मिलने पर नाम से पहले ‘जाति’ पूछने की जातिगत भेदभाव की मानसिकता को ख़त्म करने के लिए क्या किया जाएगा? किसी का घर धुलवाने की जातिगत भेदभाव की सोच का अंत करने के लिए क्या उपाय किया जाएगा? और किसी पर झूठे और अपमानजनक आरोप लगाकर बदनाम करने के जातिगत भेदभाव से भरी साज़िशों को समाप्त करने के लिए क्या किया जाएगा?