नैनी जेल में अतीक अहमद के बेटे अली की बैरक से नकदी बरामद, दो जेलकर्मी सस्पेंड
हाई सिक्योरिटी बैरक में तलाशी के दौरान मिला 1100 रुपये नकद, डीआईजी की जांच में हुआ खुलासा; जेलर समेत अन्य अधिकारियों पर भी जांच के आदेश
प्रयागराज। नैनी सेंट्रल जेल में बंद माफिया अतीक अहमद के बेटे अली अहमद की हाई सिक्योरिटी बैरक से नकदी बरामद होने के बाद जेल प्रशासन में हड़कंप मच गया है। यह खुलासा तब हुआ जब मंगलवार को जेल डीआईजी राजेश श्रीवास्तव ने जेल का रूटीन निरीक्षण किया। जांच के दौरान अली अहमद की बैरक से ₹1100 नकद बरामद किए गए, जो जेल नियमों का खुला उल्लंघन है।
जेल अधीक्षक रंग बहादुर ने बताया कि अली अहमद को यह नकदी उसके एक मुलाकाती ने दी थी, ताकि वह जेल कूपन खरीद सके — जोकि बंदियों को सामान खरीदने के लिए अधिकृत माध्यम होता है। नियमों के अनुसार, कैदी को नकद रखने की सख्त मनाही है। अली ने न तो कूपन खरीदे और न ही रकम जमा की, बल्कि पैसे छिपाकर रख लिए, जो बाद में तलाशी में पकड़े गए।
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए जेल प्रशासन ने तत्काल कार्रवाई करते हुए नैनी जेल की डिप्टी जेलर कांति देवी और हेड वार्डर संजय द्विवेदी को निलंबित कर दिया है। डीआईजी ने जेलर, डिप्टी जेलर और अन्य कर्मचारियों की भूमिका की जांच के भी निर्देश दिए हैं, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि क्या यह मामला अंदरूनी मिलीभगत का है।
क्यों है यह मामला संवेदनशील?
अली अहमद वर्तमान में हाई सिक्योरिटी बैरक में बंद है। वह रंगदारी मांगने के एक केस में सरेंडर कर जेल में आया था, साथ ही उमेश पाल हत्याकांड की साजिश में शामिल होने का भी आरोपी है। पिता अतीक अहमद की मौत के बाद अली पर गैंग "आईएस 227" की कमान संभालने का भी आरोप है।
ऐसे में अली अहमद की बैरक से नकदी का मिलना न सिर्फ सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है, बल्कि जेल के भीतर जारी संभावित भ्रष्टाचार की भी पोल खोलता है। जेलकर्मियों की संलिप्तता को लेकर उठे सवालों ने प्रदेश सरकार और जेल विभाग को सतर्क कर दिया है।
डीआईजी राजेश श्रीवास्तव ने स्पष्ट किया है कि इस मामले में जो भी दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ कठोरतम कार्रवाई की जाएगी।