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धर्म परिवर्तन फर्जी तो शादी भी अवैध-इलाहाबाद हाईकोर्ट

फर्जी धर्म परिवर्तन प्रमाणपत्र के सहारे सुरक्षा मांगने आए बालिग जोड़े की शादी को हाईकोर्ट ने अमान्य कर दिया 

 
कोर्ट ने बालिग जोड़े को विशेष विवाह कानून के तहत बिना मतांतरण किए शादी पंजीकृत कराने का दिया निर्देश 

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहाकि ’धर्म परिवर्तन फर्जी तो शादी भी अवैध है, क्योंकि मुस्लिम कानून के तहत इस्लाम मानने वालों के बीच ही निकाह का करार हो सकता है। विपरीत धर्म के लोगों का नहीं। इसके साथ ही फर्जी धर्म परिवर्तन प्रमाणपत्र के सहारे सुरक्षा मांगने आए बालिग जोड़े की शादी को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अमान्य कर दिया। हालांकि कोर्ट ने बालिग जोड़े को विशेष विवाह कानून के तहत प्रयागराज में बिना मतांतरण (धर्म परिवर्तन) किए शादी पंजीकृत कराने का निर्देश दिया है।
मामला यह है कि मोहम्मद बिन कासिम उर्फ अकबर मुस्लिम के साथ जैनब परवीन उर्फ चंद्रकांता ने धर्म परिवर्तन का फर्जी प्रमाणपत्र लेकर शादी की थी। चंद्रकांता ने जब परिवार के साथ जाने से इन्कार किया तो कोर्ट ने उसे पंजीकरण प्रमाणपत्र मिलने तक नारी संरक्षण गृह प्रयागराज में रखने का आदेश दिया है। चंद्रकांता अभी तक याची के साथ रह रही थी। न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव ने यह आदेश मोहम्मद बिन कासिम उर्फ अकबर व अन्य (चंद्रकांता) की याचिका निस्तारित करते हुए दिया है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने याची मोहम्मद बिन कासिम के अधिवक्ता को भविष्य में बिना सत्यापन ऐसे फर्जी प्रमाणपत्र के साथ याचिका दाखिल न करने की चेतावनी भी दी है। उन पर 25 हजार रुपये हर्जाना भी लगाया है। हर्जाने की राशि 15 दिन में हाई कोर्ट मिडिएशन सेंटर में जमा करने का निर्देश दिया है।

अदालत ने कहाकि हर्जाना जमा नहीं हुआ तो जिलाधिकारी के माध्यम से राशि वसूली जाएगी। कोर्ट पहुंच याचिकाकर्ताओं का कहना था कि वे दोनों विपरीत धर्म के हैं। अपनी मर्जी से महिला याची ने पिछले 22 फरवरी को इस्लाम धर्म स्वीकार किया है। इस मामले में खानकाह आलिया अरीफिया ने धर्म परिवर्तन का प्रमाण-पत्र जारी किया है। उन्होंने 26 मई को निकाह कर लिया है। लेकिन उनके शांतिपूर्ण वैवाहिक जीवन में किसी के दखल पर रोक लगाई जाय। इस पर सरकारी अधिवक्ता ने कहाकि याचीगण के धर्म परिवर्तन का प्रमाणपत्र फर्जी है। इस मामले में सचिव व प्रबंधक जामिया आरफा सैयद सरवन कौशांबी ने पुलिस में दिए गये बयान में कहा है कि उनकी संस्था ने धर्म परिवर्तन का कोई प्रमाण-पत्र जारी नहीं किया है। इस तरह से धर्म परिवर्तन का दस्तावेज फर्जी है। इसके कारण शादी भी अवैध है और दोनों शादीशुदा नहीं हैं। हालांकि संविधान बालिगों को अपनी मर्जी से शादी करने का अधिकार देता है। इसलिए दोनों विशेष विवाह कानून के तहत बिना धर्म बदले शादी का पंजीकरण करा सकते हैं।

कोर्ट को बताया गया कि गाजीपुर में इस समय कोई निबंधक (विशेष विवाह अधिनियम) नहीं है। इस पर कोर्ट ने कहा कि याची प्रयागराज में निबंधक विशेष विवाह अधिनियम के समक्ष शादी पंजीकृत करने की अर्जी दे सकते हैं। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता से कहा कि जिला प्रोबेशन अधिकारी को इसकी सूचना दें। इसके साथ ही निबंधक (अनुपालन) प्रयागराज के जिलाधिकारी, जिला प्रोबेशन अधिकारी व पुलिस कमिश्नर को भी सूचित करें। इसके साथ ही अदालत ने याची मोहम्मद बिन कासिम को सुरक्षा देने और चंद्रकांता को नारी संरक्षण गृह ले जाने का आदेश दिया। अब इस मामले में कोर्ट ने निबंधक (अनुपालन) से 16 अक्टूबर को रिपोर्ट तलब की है।