अच्छी सैलरी पाने वाली पत्नी को गुज़ारा भत्ता नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट का आदेश किया रद्द
धारा 125 CrPC पर अहम टिप्पणी, हाईकोर्ट बोला– खुद कमाने वाली पत्नी भरण-पोषण की हकदार नहीं
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुज़ारा भत्ता को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा है कि जो पत्नी अच्छी नौकरी करती है और अपने भरण-पोषण के लिए पर्याप्त वेतन प्राप्त कर रही है, वह दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 125 के तहत गुज़ारा भत्ता पाने की हकदार नहीं है। हाईकोर्ट ने इस आधार पर फैमिली कोर्ट द्वारा दिया गया भरण-पोषण का आदेश रद्द कर दिया।
यह फैसला न्यायमूर्ति मदन पाल सिंह ने गौतम बुद्ध नगर निवासी अंकित साहा द्वारा दायर पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। याचिका में गौतम बुद्ध नगर के प्रधान पारिवारिक न्यायाधीश द्वारा पारित उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें पति को पत्नी को प्रतिमाह पांच हजार रुपये गुज़ारा भत्ता देने का निर्देश दिया गया था।
पत्नी की आय छिपाने पर कोर्ट की सख्त टिप्पणी
हाईकोर्ट ने कहा कि पत्नी साफ-सुथरे हाथों से न्यायालय के समक्ष नहीं आई। उसने फैमिली कोर्ट में खुद को बेरोजगार और अनपढ़ बताया था, जबकि रिकॉर्ड से स्पष्ट हुआ कि वह पोस्ट ग्रेजुएट है और एक निजी कंपनी में सीनियर सेल्स कोऑर्डिनेटर के पद पर कार्यरत है। पत्नी की मासिक आय करीब 36 हजार रुपये पाई गई।
कोर्ट ने कहा कि याची पति ने स्पष्ट रूप से यह तथ्य सामने रखा था कि उसकी पत्नी वेब डिजाइनर भी है और नियमित रूप से आय अर्जित कर रही है। ऐसे में फैमिली कोर्ट द्वारा सिर्फ आय में संतुलन और बराबरी लाने के उद्देश्य से गुज़ारा भत्ता देना कानून के अनुरूप नहीं है।
धारा 125 CrPC की व्याख्या
न्यायालय ने कहा कि CrPC की धारा 125 का उद्देश्य केवल उस पत्नी को राहत देना है, जो स्वयं अपना गुज़ारा करने में असमर्थ हो। यदि पत्नी स्वयं कमाने में सक्षम है और उसे पर्याप्त वेतन मिल रहा है, तो वह इस धारा के तहत भरण-पोषण की मांग नहीं कर सकती।
कोर्ट ने यह भी कहा कि जिस पत्नी पर किसी प्रकार की अन्य पारिवारिक जिम्मेदारी नहीं है, उसके लिए 36 हजार रुपये मासिक आय को अपर्याप्त नहीं कहा जा सकता। इसके विपरीत पति पर वृद्ध माता-पिता के भरण-पोषण और अन्य सामाजिक जिम्मेदारियों का भी बोझ होता है।
फैमिली कोर्ट का आदेश रद्द
इन तथ्यों और कानूनी प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट द्वारा पारित गुज़ारा भत्ता संबंधी आदेश को निरस्त कर दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि धारा 125(1)(a) CrPC के तहत इस मामले में पत्नी गुज़ारा भत्ता पाने की हकदार नहीं है।
इस फैसले को गुज़ारा भत्ता से जुड़े मामलों में एक महत्वपूर्ण नजीर के रूप में देखा जा रहा है।