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“क्रिकेट में विविधता बढ़ाना और लड़कियों की भागीदारी सुनिश्चित करना हमारा लक्ष्य” - इसा गुहा

इंग्लैंड की पूर्व क्रिकेटर और विश्व प्रसिद्ध कमेंटेटर इसा गुहा ने एशेज से पहले कहा- महिलाओं की भागीदारी, एथनिक डाइवर्सिटी और जेंडर इक्विटी को बढ़ावा देना ही ‘Take Her Lead’ का मिशन

 

The Athletic से साभार 

स्पोर्ट्स डेस्क। इंग्लैंड की पूर्व तेज गेंदबाज, एशेज और वर्ल्ड कप विजेता, तथा दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित महिला स्पोर्ट्स कमेंटेटर्स में शामिल इसा गुहा ने कहा है कि क्रिकेट में एथनिक डाइवर्सिटी, जेंडर इक्विटी और लड़कियों की बढ़ती भागीदारी खेल के भविष्य के लिए बेहद जरूरी है।
इसा गुहा इन दिनों ऑस्ट्रेलिया में फॉक्स स्पोर्ट्स के लिए एशेज की कवरेज कर रही हैं।

ऑस्ट्रेलिया में एशेज, कमेंट्री बॉक्स और इंग्लैंड की चुनौती

इसा गुहा पिछले आठ वर्ष से ऑस्ट्रेलिया के फॉक्स स्पोर्ट्स के साथ एशेज में कमेंट्री कर रही हैं।
उन्होंने कहा- “इंग्लैंड कई बार पहले टेस्ट में गलती कर देती है। इस बार उम्मीद है कि बेन स्टोक्स की कप्तानी में टीम बेहतर शुरुआत करेगी।” उन्होंने मजाक करते हुए कहा कि ऑस्ट्रेलियाई कमेंटेटर्स इंग्लैंड के खराब प्रदर्शन पर चुटकी लेते हैं, लेकिन कमेंट्री में हमेशा सम्मान बना रहता है।

“Take Her Lead”- महिलाओं और लड़कियों के लिए बड़ी पहल

इसा गुहा अपनी संस्था Take Her Lead के माध्यम से क्रिकेट में महिलाओं और लड़कियों की भागीदारी बढ़ाने के मिशन पर काम कर रही हैं।

उन्होंने बताया-

  • क्रिकेट में महिलाओं का प्रतिनिधित्व अब भी कम है।
  • ICEC रिपोर्ट में साफ हुआ कि misogyny (महिला विरोधी संस्कृति) ने महिलाओं के करियर को प्रभावित किया।
  • 10 से 15 वर्ष की उम्र में लड़कियां खेल छोड़ने की सबसे अधिक संभावना रखती हैं।
  • लड़कियों को पहले belonging (अपनापन) और फिर competitiveness महसूस होती है।

इसा कहती हैं- “मैंने पाया कि आज की कई लड़कियां वही चुनौतियाँ झेल रही हैं जो मैंने 20 साल पहले झेली थीं। हमें एक ऐसा माहौल बनाना होगा जहां वे खुद को सुरक्षित और स्वीकार्य महसूस करें।”

मां से मिली प्रेरणा और क्रिकेट की शुरुआती यात्रा

इसा गुहा ने बताया कि उनकी मां रोमा गुहा उनकी सबसे बड़ी प्रेरणा थीं। मां और पिता, दोनों ने क्रिकेट खेलने के लिए उनका मजबूत समर्थन किया।
16 वर्ष की उम्र में वह इंग्लैंड की पहली दक्षिण एशियाई मूल की महिला खिलाड़ी बनीं।
उन्होंने कहा-“उस वक्त मुझे यह पहचान शर्मिंदगी लगती थी, क्योंकि मैं ध्यान नहीं चाहती थी। लेकिन समय के साथ समझ आया कि रोल मॉडल का कितना महत्व होता है।”

कमेंट्री करियर और वैश्विक पहचान

26 वर्ष की उम्र में इंटरनेशनल क्रिकेट से अचानक संन्यास लेकर इसा गुहा ने कमेंट्री में कदम रखा।
आज वह-

  • BBC की विंबलडन टीम का हिस्सा
  • पेरिस ओलंपिक की प्रस्तुतकर्ता
  • फॉक्स स्पोर्ट्स की प्रमुख क्रिकेट आवाज

  बन चुकी हैं।

उन्होंने कहा- “मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं क्लेयर बाल्डिंग और सू बार्कर जैसी दिग्गजों के साथ काम करूंगी। यह सब मेरे लिए सपने जैसा रहा है।”

भारत की महिला टीम की सफलता को बताया गेम-चेंजर

इसा ने हाल ही में भारत द्वारा महिला वर्ल्ड कप जीतने को ऐतिहासिक करार दिया।
उन्होंने कहा-“इस जीत ने करोड़ों लड़कियों को प्रेरित किया है। अब भारत में पिता अपनी बेटियों को क्रिकेट खेलने के लिए आगे बढ़कर प्रोत्साहित कर रहे हैं।”


एशेज में भावुक यादें- शेन वॉर्न और एंड्रयू साइमंड्स

उन्होंने कहा कि फॉक्स स्पोर्ट्स का परिवार दो महान खिलाड़ियों -

  • शेन वॉर्न, और
  • एंड्रयू साइमंड्स

  को खोने के बाद अब भी भावुक होता है।

“वॉर्नी ने मुझे कमेंट्री में हमेशा आत्मविश्वास दिया। ‘रॉय’ (साइमंड्स) बड़े दिल वाला इंसान था। एशेज में उनकी कमी बहुत खलती है।”

कमेंट्री बॉक्स में मज़ाकिया साथी— केरी ओ’कीफ

इसा ने बताया कि ऑस्ट्रेलियाई लेग-स्पिनर केरी ओ’कीफ (Skull) कमेंट्री बॉक्स में माहौल को हास्य से भर देते हैं। “कभी नहीं पता होता कि वह कब क्या कह देंगे। उनसे मजाक में भी बचकर रहना पड़ता है।”