गौतम गंभीर को बड़ी राहत: AAP सरकार के दौरान दर्ज आपराधिक शिकायत दिल्ली हाई कोर्ट ने की खारिज
महामारी के दौरान कोविड दवाओं के कथित अवैध भंडारण-वितरण मामले में गंभीर, उनके परिवार और संगठन के खिलाफ जारी समन रद्द; हाई कोर्ट ने कहा- ‘आपराधिक शिकायत खत्म’
नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट टीम के मुख्य कोच और पूर्व सांसद गौतम गंभीर को दिल्ली हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। महामारी के दौरान कोविड-19 दवाओं के कथित अवैध भंडारण और वितरण के आरोप में दर्ज आपराधिक शिकायत को कोर्ट ने शुक्रवार को खारिज कर दिया।
न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की पीठ ने गंभीर, उनकी पत्नी नताशा गंभीर, मां सीमा गंभीर और उनके गैर-लाभकारी संगठन के खिलाफ जारी समन को रद्द करते हुए कहा-“आपराधिक शिकायत रद्द की जाती है।”
AAP शासनकाल में दर्ज हुआ था मामला
यह शिकायत दिल्ली सरकार के औषधि नियंत्रण विभाग ने दर्ज कराई थी। आरोप था कि कोविड की दूसरी लहर के दौरान गौतम गंभीर फाउंडेशन ने बिना लाइसेंस के दवाओं का भंडारण और वितरण किया।
शिकायत औषधि एवं कॉस्मेटिक्स अधिनियम की
- धारा 18(सी) – बिना लाइसेंस के उत्पादन/वितरण प्रतिबंधित
- धारा 27(बी)(2) – बिना लाइसेंस दवाएं वितरित करने पर सजा
के तहत की गई थी। गंभीर की मां सीमा गंभीर और पत्नी नताशा गंभीर संगठन की न्यासी हैं, जबकि सीईओ अपराजिता सिंह को भी मामले में शामिल किया गया था।
हाई कोर्ट ने क्यों दी राहत?
गंभीर और उनके परिवार द्वारा दायर याचिका में निचली अदालत के समन को चुनौती दी गई थी। हाई कोर्ट ने दलीलों को सुनने के बाद माना कि इस मामले में आपराधिक कार्यवाही जारी रखने का कोई औचित्य नहीं बनता।
कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि मौजूदा मामले में आपराधिक शिकायत आगे नहीं बढ़ाई जा सकती, इसलिए इसे रद्द किया जाता है।
क्या है पूरा विवाद?
महामारी के दौरान गंभीर और उनके संगठन ने अपने संसाधनों से रोगियों को मुफ्त दवाएं और सहायता उपलब्ध कराई थीं। AAP सरकार ने आरोप लगाया था कि यह कार्य बिना लाइसेंस किया गया। इस आरोप पर गंभीर के कार्यालय का कहना था कि सारी दवाएं सरकारी सूची के अनुसार और मरीजों की जरूरत पर वितरित की गई थीं।
हाई कोर्ट के फैसले के साथ गंभीर को बड़ी कानूनी राहत मिल गई है, लेकिन यह मामला लंबे समय तक राजनीतिक विवाद का केंद्र रहा है।