काशी और मथुरा के बीच विशेष उपहार का आदान-प्रदान, बाबा के धाम से ठाकुर के जन्मस्थान मथुरा भेजा गया तोहफा
वाराणसी,भदैनी मिरर । रंगभरी एकादशी और होली के शुभ अवसर पर सनातन परंपरा को और अधिक मजबूत करते हुए, श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास और श्री कृष्ण जन्मस्थान मथुरा के बीच एक ऐतिहासिक पहल की गई। इस नवाचार के तहत, भगवान विश्वनाथ द्वारा श्री कृष्ण जन्मस्थान में विराजमान लड्डू गोपाल के लिए विशेष उपहार सामग्री भेजी गई, वहीं मथुरा से भगवान लड्डू गोपाल ने श्री काशी विश्वनाथ को भेंट अर्पित की।
इस शुभ कार्य के लिए श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण ने श्री कृष्ण जन्मस्थान मथुरा के सचिव श्री कपिल शर्मा और गोपेश्वर चतुर्वेदी से चर्चा की थी, जिसे मथुरा के अधिकारियों ने सहर्ष स्वीकार किया।
भव्य आयोजन के साथ भेजे गए उपहार
आज विधि-विधान से पूजन के बाद, मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण, अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी निखिलेश कुमार मिश्र, डिप्टी कलेक्टर शंभू शरण, विशेषकार्याधिकारी उमेश कुमार सिंह, नायब तहसीलदार मिनी एल शेखर सहित अन्य अधिकारियों और श्रद्धालुओं की उपस्थिति में भगवान लड्डू गोपाल के लिए विशेष उपहार सामग्री मथुरा के लिए रवाना की गई। वहीं, श्री कृष्ण जन्मस्थान मथुरा से भगवान विश्वनाथ के लिए अर्पित उपहार भी वाराणसी के लिए भेजे गए।
काशी और मथुरा दोनों ही सनातन संस्कृति के प्रमुख तीर्थस्थल हैं, और यह आयोजन दोनों तीर्थों के बीच आध्यात्मिक समन्वय का प्रतीक है। इसे इस वर्ष की रंगभरी एकादशी और होली महोत्सव का एक अभिन्न हिस्सा बनाया गया है।
रंगभरी एकादशी का महत्व
पौराणिक मान्यता के अनुसार, रंगभरी एकादशी की कथा स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने *राधा रानी* को सुनाई थी, जिसके बाद से यह परंपरा चली आ रही है। काशी में यह पर्व विशेष धूमधाम से मनाया जाता है और इस वर्ष मथुरा से प्राप्त रंग-गुलाल का उपयोग बाबा विश्वनाथ को अर्पित करने में किया जाएगा।
उपहार सामग्री का समारोहपूर्वक स्वागत
- काशी विश्वनाथ धाम में मथुरा से प्राप्त उपहार सामग्री को 09 मार्च 2025 की सुबह 6:30 बजे भगवान विश्वनाथ के समक्ष अर्पित किया जाएगा।
- श्री कृष्ण जन्मस्थान मथुरा में काशी से भेजे गए उपहार को 09 मार्च 2025 की सुबह 9:00 बजे भगवान लड्डू गोपाल को समर्पित किया जाएगा।
- दोनों धामों में प्रसाद और उपहार सामग्री का वितरण श्रद्धालुओं में किया जाएगा, जिससे यह पर्व और भी भव्य बनेगा।
इस ऐतिहासिक पहल के माध्यम से दोनों तीर्थस्थलों के बीच आध्यात्मिक और सांस्कृतिक संबंध और प्रगाढ़ होंगे। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास और श्री कृष्ण जन्मस्थान न्यास ने इस आयोजन को सनातन धर्म की सर्वोन्नति के लिए समर्पित किया है।