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शारदीय नवरात्र 2025: चौथे दिन काशी में कूष्मांडा देवी की आराधना, दुर्गा कुंड मंदिर में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

 सृष्टि विस्तार की अधिष्ठात्री हैं मां कूष्मांडा, काशी खंड में उल्लिखित है दुर्गा माता मंदिर का महत्व

 
वाराणसी, भदैनी मिरर। शारदीय नवरात्र 2025 का आज चौथा दिन है। इस दिन मां दुर्गा के कूष्मांडा स्वरूप की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है। वाराणसी के मंदिरों में सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। भक्ति गीतों और मां दुर्गा के जयकारों से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया।
गुरुवार को काशी के प्राचीन दुर्गा कुंड मंदिर में श्रद्धालुओं की लंबी कतार सुबह से ही लग गई। भक्तों ने माता के दर्शन के साथ-साथ विशेष पूजा-अर्चना की। वहीं घर-घर में भी भक्तों ने माता की चौकियां सजाकर मां के स्वरूपों की पूजा की।
यह है पौराणिक मान्यता
शास्त्रों के अनुसार जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तब मां कूष्मांडा ने ही अपनी अद्भुत शक्ति से सृष्टि की रचना की। उन्हें प्रकृति और पर्यावरण की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। यह मान्यता भी है कि उनकी आराधना के बिना जप और ध्यान अधूरा माना जाता है।
दुर्गा माता मंदिर का महत्व
दुर्गा माता मंदिर का उल्लेख ‘काशी खंड’ में भी मिलता है। लाल पत्थरों से नागर शैली में बने इस मंदिर के समीप ही दुर्गा कुंड स्थित है। मंदिर के पास बाबा भैरवनाथ, लक्ष्मी, सरस्वती और काली की प्रतिमाएं भी स्थापित हैं। मंदिर के अंदर विशाल हवन कुंड भी है।
ऐतिहासिक मान्यता है कि शुंभ-निशुंभ का वध करने के बाद मां दुर्गा ने इसी स्थान पर विश्राम किया था। यहां प्रतिमा के स्थान पर माता के मुखौटे और चरण पादुकाओं की पूजा होती है। 17वीं शताब्दी में रानी भवानी ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था।
इस मंदिर का स्थापत्य विशेष है, क्योंकि यह बीसा यंत्र (बीस कोणीय संरचना) पर आधारित है। इसी आधारशिला पर मंदिर की नींव रखी गई। यही कारण है कि इस मंदिर में यांत्रिक पूजा का भी विशेष महत्व है।