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Pitru Paksha 2025 : जानें श्राद्ध के 10 अहम नियम, जिन्हें भूलकर भी न करें नजरअंदाज

 

Pitru Paksha 2025: हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। यह पूरा पखवाड़ा पितरों की आत्मा की शांति और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए समर्पित होता है। इस दौरान श्रद्धालु अपने पूर्वजों की स्मृति में श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान जैसे कर्मकांड करते हैं। हालांकि शास्त्रों में श्राद्ध करते समय कुछ नियम बताए गए हैं, जिनका पालन न करने पर पितृ दोष लग सकता है। आइए जानते हैं पितृ पक्ष में श्राद्ध से जुड़े 10 महत्वपूर्ण नियम:

इस साल पितृ पक्ष की शुरुआत आश्विन मास की प्रतिपदा तिथि, 7 सितंबर से हो चुकी है और इसका समापन सर्वपितृ अमावस्या पर 21 सितंबर को होगा। मान्यता है कि इस अवधि में श्रद्धा से किए गए कर्मकांड से पितर प्रसन्न होते हैं और अपने वंश को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।

श्राद्ध के 10 जरूरी नियम

  1. अपराह्न काल में करें श्राद्ध – दोपहर का समय पितरों के लिए सर्वोत्तम माना गया है।

  2. दक्षिण दिशा की ओर मुख करें – श्राद्ध करते समय दक्षिण दिशा की ओर बैठना चाहिए, क्योंकि इसे पितृलोक की दिशा कहा गया है।

  3. सूर्यास्त के बाद न करें कर्मकांड – मान्यता है कि सूर्यास्त के बाद किए गए श्राद्ध का कोई फल नहीं मिलता।

  4. अपनी भूमि पर करें श्राद्ध – यदि संभव हो तो अपने घर या जमीन पर ही श्राद्ध करें। अन्यथा पवित्र नदी, देवालय या तीर्थ स्थल पर भी कर सकते हैं।

  5. ब्राह्मणों को आमंत्रित करें – कम से कम तीन ब्राह्मणों को बुलाकर उनके लिए सात्विक भोजन बनाएं।

  6. दान के बिना अधूरा है श्राद्ध – ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को भोजन कराकर, वस्त्र या अन्न का दान अवश्य करें।

  7. घर में शांति बनाए रखें – श्राद्ध के दिन कलह, झगड़ा और क्रोध से बचें।

  8. जीव-जंतुओं के लिए अंश निकालें – भोजन का एक भाग गाय, कुत्ते, चींटी और कौवे को अवश्य दें। इन्हें पितरों तक भोजन पहुंचाने का माध्यम माना जाता है।

  9. कुश और तिल का प्रयोग अनिवार्य – श्राद्ध में इनका होना आवश्यक है, इनके बिना विधि अपूर्ण मानी जाती है।

  10. शरीर की सज्जा से परहेज – इस दिन बाल, नाखून और दाढ़ी कटवाने से बचना चाहिए।

श्राद्ध कर्म हमेशा श्रद्धा और संयम के साथ करने चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से पितर प्रसन्न होकर परिवार को सुख-समृद्धि और खुशहाल जीवन का आशीर्वाद देते हैं।