नवरात्रि 2025: वाराणसी के जैतपुरा मंदिर में स्कंदमाता के दर्शन को उमड़ा भक्तों का रेला, माता को पीली वस्तु चढ़ाने की परंपरा
मां के आशीर्वाद से बन जाते हैं बिगड़े काम, स्कंदमाता का स्वरूप और पुराणों में वर्णन
Updated: Sep 26, 2025, 08:50 IST
वाराणसी। शारदीय नवरात्र का पर्व भक्तिमय माहौल में डूबा हुआ है। नवरात्रि के पांचवें दिन मां दुर्गा के स्कंदमाता स्वरूप की पूजा-अर्चना की जाती है। वाराणसी के जैतपुरा स्थित प्राचीन स्कंदमाता मंदिर में भोर 4 बजे से ही श्रद्धालुओं का तांता लगना शुरू हो गया। यह मंदिर केवल नवरात्र में ही पूरे दिन खुलता है और मां के दर्शन के लिए दूर-दूर से भक्त यहां पहुंचते हैं।
नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा का महत्व
देवी पुराण और काशी खंड में वर्णन है कि स्कंदमाता, भगवान कार्तिकेय की माता हैं। शेर के सिंहासन पर विराजमान होकर मां भक्तों को दर्शन देती हैं। इन्हें विद्यावाहिनी, माहेश्वरी और गौरी के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि मां के दर्शन और पूजन से भक्तों का तेज बढ़ता है और जीवन में आ रही बाधाएं समाप्त हो जाती हैं।
पीली वस्तु चढ़ाने की परंपरा
मंदिर में भक्त माता को गुड़हल, गेंदा, गुलाब, नारियल, चुनरी और पीली बर्फी अर्पित कर रहे हैं। विशेष रूप से पीली वस्तु चढ़ाने की परंपरा प्राचीनकाल से है। सुबह माता को पंचामृत स्नान कराया गया और भव्य श्रृंगार किया गया।
छात्र-छात्राओं की होती है विशेष भीड़
मंदिर परिसर में आज बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं भी दर्शन के लिए पहुंचे। महंत ने बताया कि मां स्कंदमाता की पूजा करने से विद्या, तेज और आत्मबल की प्राप्ति होती है।
मंदिर के महंत का कहना है कि जैसे मां अपने बच्चों को वात्सल्य देती हैं, वैसे ही देवी भक्तों पर कृपा बरसाती हैं। नवरात्र में माता के दर्शन के साथ ही दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।