{"vars":{"id": "125128:4947"}}

करवा चौथ 2025 : व्यतिपात योग में होगा चंद्रोदय, सुहागिनें रखेंगी अखंड सौभाग्य का व्रत 10 अक्तूबर को

9 अक्तूबर को रात 10:55 बजे से लगेगी चतुर्थी तिथि, अगले दिन 7:39 बजे तक रहेगी

 

रात 8:03 बजे चंद्रोदय, सोलह श्रृंगार कर सुहागिनें देंगी चांद को अर्घ्य

लाल, पीला और सुनहरा रंग पहनना रहेगा शुभ, बढ़ेगा सौभाग्य और प्रेम

वाराणसी। कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर इस वर्ष करवा चौथ का व्रत 10 अक्तूबर (गुरुवार) को रखा जाएगा। अखंड सौभाग्य और पति की दीर्घायु के लिए सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत रखकर भगवान शिव, माता पार्वती, श्रीगणेश और कार्तिकेय की पूजा करेंगी। चंद्रोदय के समय महिलाएं सोलह श्रृंगार कर चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित करेंगी।

चतुर्थी तिथि और चंद्रोदय का समय

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के पूर्व सदस्य ज्योतिषाचार्य पं. दीपक मालवीय के अनुसार, कार्तिक कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि 9 अक्तूबर को रात 10:55 बजे से प्रारंभ होकर 10 अक्तूबर को रात 7:39 बजे तक रहेगी।
इस दौरान कृतिका नक्षत्र 9 अक्तूबर को रात 8:03 बजे से 10 अक्तूबर की शाम 5:23 बजे तक रहेगा। सिद्धि योग रात 9:33 बजे से लेकर अगले दिन शाम 5:42 बजे तक रहेगा, जिसके बाद व्यतिपात योग प्रारंभ होगा। चंद्रोदय का समय 10 अक्तूबर की रात 8:03 बजे रहेगा, जब महिलाएं पूजा संपन्न कर चंद्रमा को अर्घ्य देंगी।

 पूजा विधि और मान्यता

ज्योतिषाचार्य विमल जैन के अनुसार, करवा चौथ का व्रत पति की दीर्घायु और वैवाहिक सुख के लिए रखा जाता है। पूजा की थाली में जल से भरा करवा, दीपक, चावल, रोली, मिठाई और श्रृंगार सामग्री रखी जाती है।
चंद्रोदय के बाद महिलाएं छलनी से चांद को देखकर पति का मुख दर्शन करती हैं और फिर व्रत खोलती हैं।

शुभ रंग और पहनावे का महत्व

ज्योतिषियों के अनुसार, इस दिन लाल, सुनहरा और पीला रंग धारण करना अत्यंत शुभ माना गया है। लाल रंग से प्रेम और ऊष्मा का संचार होता है, जबकि सुनहरे व पीले रंग से जीवन में प्रसन्नता और समृद्धि आती है। राशि के अनुसार रंग पहनने से व्रत का फल और भी अधिक मिलता है।

करवा चौथ का महत्व

करवा चौथ भारतीय परंपरा में वैवाहिक प्रेम, निष्ठा और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। इस व्रत का वर्णन प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है। महिलाएं पूरे दिन निर्जला रहकर पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए ईश्वर से प्रार्थना करती हैं।