बांके बिहारी कॉरिडोर पर देवकीनंदन ठाकुर की दो टूक, सरकारी नियंत्रण से मुक्त हो मंदिर
कॉरिडोर कंक्रीट से नहीं, तुलसी-लता-पता से सजे ताकि वृंदावन की पारंपरिक संस्कृति बचे
सनातन बोर्ड के गठन की मांग दुहराई, बोले बांके बिहारी मंदिर की परंपरा से न हो बदलाव
मथुरा। प्रख्यात कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने बांके बिहारी कॉरिडोर पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने गंगोत्री धाम में चल रही भागवत कथा के दौरान कहा कि वे शुरू से ही देशभर के मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने की मांग करते आ रहे हैं। उनके अनुसार, मंदिरों की पूजा-पद्धति, व्यवस्था और परंपरा सनातन संस्कृति की आत्मा हैं, जिन्हें बचाने के लिए ‘सनातन बोर्ड’ का गठन आवश्यक है।
उन्होंने वृंदावन में प्रस्तावित कॉरिडोर को लेकर चिंता जाहिर की और कहा कि वहां कंक्रीट का गलियारा नहीं, बल्कि तुलसी, बेल, वृक्षों से सजे मार्ग का निर्माण होना चाहिए ताकि श्रद्धालुओं को प्रवेश करते ही वास्तविक वृंदावन का अनुभव हो।
देवकीनंदन महाराज ने बांके बिहारी मंदिर की परंपरागत सेवा-पूजा में किसी भी तरह के बदलाव का विरोध करते हुए कहा कि मुख्य रास्ते चौड़े जरूर हों लेकिन वृंदावन का विकास तभी सार्थक होगा जब यमुना की निर्मल जलधारा फिर से बहने लगे। उन्होंने कहा कि ठाकुर जी को स्वच्छ यमुना जल से स्नान कराने की परंपरा बहाल होनी चाहिए और ब्रज-वृंदावन को मांस-मदिरा मुक्त किया जाना चाहिए।
महाराज ने उदाहरण देते हुए कहा कि नमाज के समय सरकार सड़कों पर भी व्यवस्था देती है, ट्रैफिक डायवर्ट करती है, तो फिर भगवान के दर्शन को आने वाले श्रद्धालुओं के लिए उचित व्यवस्था क्यों नहीं बन सकती। उन्होंने कहा कि शास्त्रों के अनुसार, मंदिर दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को पैदल ही जाना चाहिए, अतः मंदिर से कुछ किलोमीटर पहले ही वाहनों को रोककर पैदल मार्ग निर्धारित किया जाना चाहिए।
अंत में उन्होंने तिरुपति मंदिर में दूषित प्रसाद मामले का जिक्र करते हुए दोहराया कि सनातन संस्कृति और मंदिरों की परंपरा को संरक्षित करने के लिए ‘सनातन बोर्ड’ आवश्यक है।