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छोटा राजन की जमानत सुप्रीम कोर्ट ने रद्द की, 2001 के हत्या केस में CBI की अपील स्वीकार

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा – “27 साल फरार रहने और कई मामलों में दोषी पाए जाने के बावजूद जमानत क्यों?” हाई कोर्ट के आदेश को रद्द करते हुए आजीवन कारावास की सजा बहाल।

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को 2001 में हुई एक सनसनीखेज हत्या के मामले में गैंगस्टर छोटा राजन की जमानत रद्द कर दी। यह मामला मुंबई के होटल व्यवसायी जया शेट्टी की हत्या से जुड़ा है। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने सीबीआई द्वारा दायर अपील को स्वीकार करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें राजन की आजीवन कारावास की सजा निलंबित कर उसे जमानत दी गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि छोटा राजन 27 वर्षों तक फरार रहा और उसे चार अलग-अलग मामलों में दोषी ठहराया गया है। ऐसे व्यक्ति को जमानत देना न्याय के साथ समझौता होगा। कोर्ट ने यह भी कहा, “राजन का नाम ही काफी है।” यह टिप्पणी उस समय आई जब उसके वकील ने यह तर्क दिया कि मामला बिना पर्याप्त सबूत के था।

सीबीआई की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने अदालत में बताया कि हाई कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा को निलंबित कर राजन को जमानत दी थी, जबकि वह पहले से ही अन्य मामलों में सजा काट रहा है। अदालत ने कहा कि गवाहों के सामने न आने के कारण कुछ मामलों में उसे बरी किया गया, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि वह निर्दोष है।

मामले का इतिहास

यह मामला 4 मई 2001 की है, जब मुंबई के गामदेवी क्षेत्र स्थित गोल्डन क्राउन होटल के मालिक जया शेट्टी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। जांच में सामने आया कि उन्हें छोटा राजन गिरोह के सदस्य हेमंत पुजारी से जबरन वसूली के कॉल आए थे। पैसे न देने पर उनकी हत्या कर दी गई। मई 2024 में विशेष अदालत ने इस मामले में छोटा राजन को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। बाद में राजन ने उच्च न्यायालय में अपील दायर कर सजा निलंबित करने और जमानत की मांग की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया।

राजन की आपराधिक पृष्ठभूमि

राजन पहले से ही वरिष्ठ पत्रकार जे डे की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। चार महीनों में यह जिले की दूसरी बड़ी डकैती से जुड़ी कार्रवाई मानी जा रही है। पुलिस ने मामले में जांच तेज कर दी है और आरोपियों की गिरफ्तारी के प्रयास जारी हैं।