प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री शाह को इस्तीफा दे देना चाहिए-डॉ. उदित राज
मोदी सरकार का नेशनल हेराल्ड “केस“ का बेशर्मी भरा हौवा बेइज्जती में खत्म हुआ
वाराणसी में पत्रकारों से बातचीत में कहा-मनरेगा को खत्म कर महात्मा गांधी की सोच, गरीबों का अधिकार छीनने की कोशिश
वाराणसी, भदैनी मिरर। मोदी सरकार ने “सुधार” के नाम पर लोकसभा में एक और बिल पास करके दुनिया की सबसे बड़ी रोज़गार गारंटी स्कीम मनरेगा को खत्म कर दिया है। यह महात्मा गांधी की सोच को खत्म करने और सबसे गरीब भारतीयों से काम का अधिकार छीनने की जान-बूझकर की गई कोशिश है। मनरेगा गांधीजी के ग्राम स्वराज, काम की गरिमा और डिसेंट्रलाइज़्ड डेवलपमेंट के सपने का जीता-जागता उदाहरण है। लेकिन इस सरकार ने न सिर्फ़ उनका नाम हटा दिया है, बल्कि 12 करोड़ नरेगा मज़दूरों के अधिकारों को भी बेरहमी से कुचला है। दो दशकों से नरेगा करोड़ों ग्रामीण परिवारों के लिए लाइफ़लाइन रहा है और कोविड -19 महामारी के दौरान आर्थिक सुरक्षा के तौर पर ज़रूरी साबित हुआ। पार्टी की नेता सोनिया गांधी और विपक्ष के नेता राहुल गांधी के खिलाफ नेशनल हेराल्ड मामले में दर्ज केस झूठ का पुलिंदा था। अब कांग्रेस नेताआें के खिलाफ साजिश रचनेवाले पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।
यह बात कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता और असंगठित कामगार एवं कर्मचारी कांग्रेस के चेयरमैन डॉ. उदित राज ने रविवार को वाराणसी में मीडिया से बातचती में कही। उन्होंने कहाकि 2014 से पीएम मोदी मनरेगा के बहुत ख़लिफ़ रहे हैं। उन्होंने इसे कांग्रेस की नाकामी की जीती-जागती निशानी कहा था। पिछले 11 सालों में, मोदी सरकार ने मनरेगा को सिस्टमैटिक तरीके से कमज़ोर किया है। उसमें तोड़फोड़ की है, बजट में कटौती करने से लेकर राज्यों से कानूनी तौर पर ज़रूरी फंड रोकने, जॉब कार्ड हटाने और आधार-बेस्ड पेमेंट की मजबूरी के ज़रिए लगभग सात करोड़ मज़दूरों को बाहर करने का काम किया गया है। इस जानबूझकर किए गए दबाव के नतीजे में, पिछले पांच सालों में मनरेगा हर साल मुश्किल से 50-55 दिन काम देने तक सिमट गया है। उदित राज ने कहाकि सत्ता के नशे में चून तानाशाह सरकार की यह सोची समझी चाल है।
उन्होंने मरनेगा की खूबियों की सिलसिलेवार जानकारी दी। बताया कि अब तक, मनरेगा संविधान के आर्टिकल 21 से मिलने वाली अधिकारों पर आधारित गारंटी थी। नया फ्रेमवर्क इसे एक कंडीशनल, केंद्र द्वारा कंट्रोल की जाने वाली स्कीम से बदल देता है, जो मज़दूरों के लिए सिर्फ़ एक भरोसा है जिसे राज्य लागू करेंगे। जो कभी काम करने का सही अधिकार था उसे अब एक एडमिनिस्ट्रेटिव मदद में बदला लिया जा रहा है और यह पूरी तरह से केंद्र की मर्ज़ी पर निर्भर है। यह कोई सुधार नहीं है; यह गांव के गरीबों के लिए एक संवैधानिक वादे को वापस लेना है। उन्होंने कहाकि मनरेगा 100 प्रतिशत पूरी तरह से केंद्र से फंडेड था। मोदी सरकार अब राज्यों पर लगभग 50,000 करोड़ या उससे ज़्यादा डालना चाहती है। राज्यों को 40 प्रतिशत खर्च उठाने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
जबकि केंद्र नियमों, ब्रांडिंग और क्रेडिट पर पूरा कंट्रोल रखता है। यह फाइनेंशियल धोखा है। उन्होंने कहाकि मनरेगा के तहत, सरकारी ऑर्डर से कभी काम नहीं रोका गया। नया सिस्टम हर साल तय टाइम के लिए ज़बरदस्ती रोज़गार बंद करने की इजाज़त देता है। मोदी सरकार ने डीसेंट्रलाइज़ेशन को भी कुचल दिया है। जो अधिकार कभी ग्राम सभाओं और पंचायतों के पास थे, उन्हें छीनकर सेंट्रलाइज़्ड डिजिटल कमांड सिस्टम, जीआईएस मैपिंग, पीएम गति शक्ति लेयर्स, बायोमेट्रिक्स, डैशबोर्ड और एल्गोरिदमिक सर्विलांस को सौंप दिया जा रहा है। कहाकि सबसे खतरनाक बात यह है कि मनरेगा के डिमांड-ड्रिवन नेचर को खत्म किया जा रहा है और उसकी जगह एक सीमित, केंद्र द्वारा तय एलोकेशन सिस्टम लाया जा रहा है। यह कदम महात्मा गांधी के आदर्शों का सीधा अपमान है और ग्रामीण रोज़गार पर खुली जंग का ऐलान है। हम सड़क से लेकर संसद तक, हर मंच पर इस जन-विरोधी, मज़दूर-विरोधी और फ़ेडरल-विरोधी हमले का विरोध करेंगे।
नजी नफ़रत से प्रेरित था नेशनल हेराल्ड केस
डॉ. उदित राज ने कहाकि हम इस जन-विरोधी, श्रमिक-विरोधी और संघीय-विरोधी हमले का हर मंच पर, सड़क से लेकर संसद तक विरोध करेंगे। उन्होंने कहाकि मोदी-शाह की बदले की राजनीति को तब बड़ा झटका लगा जब ईडी ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी और दूसरों के खिलाफ जो केस दर्ज किया था, उसे माननीय कोर्ट ने खारिज कर दिया। “वोट चोर” सरकार ने तो अपने एक कठपुतली की शिकायत भी चुरा ली और एक बार फिर एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ईडी) की साख को रौंद डाला। उन्होंने कहाकि कांग्रेस पार्लियामेंट्री पार्टी की चेयरपर्सन सोनिया गांधी और विपक्ष के नेता राहुल गांधी को टारगेट करने वाला राजनीति से प्रेरित केस कभी भी कानून से जुड़ा नहीं था। बल्कि यह निजी नफ़रत से प्रेरित था। पिछले 11 सालों में कांग्रेस पार्टी के अपनी कई नाकामियों को लगातार सामने लाने से परेशान मोदी-शाह सरकार ने एक के बाद एक जांच एजेंसियों को राजनीतिक डराने-धमकाने के लिए हथियार बनाना शुरू कर दिया।
140 करोड़ भारतीयों को एहसास हो गया है कि नेशनल हेराल्ड “केस“ में बीजेपी का झूठ का पुलिंदा, प्रोपेगैंडा और अपने पॉलिटिकल विरोधियों को किसी तरह कटघरे में खड़ा करने की एक पतली-सी कोशिश के अलावा और कुछ नहीं हैं। पत्रकार वार्ता में राष्ट्रीय प्रवक्ता उदितराज के अलावा महानगर अध्यक्ष राघवेन्द्र चौबे, अनिल श्रीवास्तव, प्रदेश प्रवक्ता सजीव सिंह, सतनाम सिंह, अमरनाथ पासवान, फसाहत हुसैन, डॉ राजेश गुप्ता, राजीव राम, अरुण सोनी, वकील अंसारी समेत कई प्रमुख लोग रहे।