राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने INS वाघशीर में की समुद्र के नीचे यात्रा, नौसैनिकों के साहस और समर्पण की सराहना
पश्चिमी समुद्री क्षेत्र में भारतीय नौसेना की स्वदेशी पनडुब्बी INS वाघशीर का दौरा, पनडुब्बी यात्रा करने वाली दूसरी राष्ट्रपति बनीं द्रौपदी मुर्मू
नई दिल्ली/करवार। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार को पश्चिमी समुद्री क्षेत्र में भारतीय नौसेना की स्वदेशी अग्रिम पंक्ति की पनडुब्बी INS वाघशीर में समुद्र के भीतर यात्रा कर एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की। वह पनडुब्बी में यात्रा करने वाली देश की दूसरी राष्ट्रपति बनीं। इससे पहले फरवरी 2006 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने INS सिंधु रक्षक में पनडुब्बी यात्रा की थी।
नौसेना अधिकारियों के अनुसार, यह यात्रा कर्नाटक के करवार नौसैनिक अड्डे से शुरू हुई, जिसमें नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी भी राष्ट्रपति के साथ मौजूद रहे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सशस्त्र बलों की सर्वोच्च कमांडर भी हैं।
पनडुब्बी में प्रवेश से पहले राष्ट्रपति मुर्मू ने नौसैनिक वर्दी पहनकर वहां तैनात नौसैनिकों से मुलाकात की। उन्होंने INS वाघशीर के चालक दल से संवाद किया और उनके साहस, समर्पण और निस्वार्थ सेवा भावना की खुले शब्दों में सराहना की। राष्ट्रपति ने इस स्वदेशी पनडुब्बी को भारतीय नौसेना की पेशेवर क्षमता, युद्ध तत्परता और राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति अटूट प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया।
राष्ट्रपति सचिवालय के अनुसार, राष्ट्रपति को भारत की समुद्री रणनीति में पनडुब्बी बेड़े की भूमिका, उसकी परिचालन क्षमताओं और राष्ट्रीय समुद्री हितों की रक्षा में उसके योगदान के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। उन्होंने समुद्र के नीचे यात्रा को अपने लिए “बहुत खास और यादगार अनुभव” बताया।
INS वाघशीर पी-75 स्कॉर्पीन परियोजना के तहत निर्मित छठी और अंतिम पनडुब्बी है, जिसे हाल ही में जनवरी माह में नौसेना में शामिल किया गया है। नौसेना के मुताबिक, यह दुनिया की सबसे शांत और अत्याधुनिक डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों में से एक है। यह पनडुब्बी सतही युद्ध, पनडुब्बी रोधी युद्ध, खुफिया निगरानी, क्षेत्रीय सुरक्षा और विशेष अभियानों में सक्षम है।
इससे पहले भी राष्ट्रपति मुर्मू ने सशस्त्र बलों के साथ अपने जुड़ाव को दर्शाते हुए अक्टूबर में अंबाला एयरबेस से राफेल लड़ाकू विमान और अप्रैल 2023 में असम के तेजपुर से सुखोई-30 एमकेआई में उड़ान भरी थी। वह वायुसेना के दो अलग-अलग लड़ाकू विमानों में उड़ान भरने वाली भारत की पहली राष्ट्रपति हैं।
राष्ट्रपति ने विजिटर बुक में लिखा कि INS वाघशीर द्वारा किए गए सफल अभियानों और चुनौतीपूर्ण अभ्यासों से यह स्पष्ट होता है कि चालक दल पूरी तरह से प्रशिक्षित और समर्पित है, जैसा कि इसका आदर्श वाक्य “वीरता, वर्चस्व, विजय” दर्शाता है।