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लद्दाख आंदोलन के अगुवा और सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक गिरफ्तार

एनएसए के तहत हुई गिरफ्तारी, स्थानीय संगठनों ने की गिरफ्तारी की निंदा

 

लद्दाख को राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर बुधवार को हुआ था भीषण बवाल

वांगचुक ने कहा ‘मुझे बलि का बकरा बनाया जा रहा‘, इससे समस्याएं और बढ़ेंगी

श्रीनगर। लद्दाख को राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर बुधवार को भीषण बवाल के बाद पुलिस ने पर्यावरणविद और सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को शुक्रवार को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत गिरफ्तार कर लिया। सोनम वांगचुक इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे थे। गौरतलब है कि लेह में बंद और विरोध प्रदर्शनों के दौरान सुरक्षाबलों और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़पों में चार लोगों की मौत हो गई थी। वांगचुक की गिरफ्तारी के बाद लेह में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है। बताया जा रहा है कि पुलिस टीम उन्हें लेकर उनके घर जा रही है। 

लद्दाख के संगठनों और वांगचुक समर्थकों का कहना है कि केंद्र सरकार से लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और संविधान की छठी अनुसूची के तहत विशेष संरक्षण की मांग लंबे समय से की जा रही है। उधर, आंदोलन तेज होने के साथ ही प्रशासन ने एहतियातन कई इलाकों में सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ा दी है। जबकि उमर अब्दुल्ला ने सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी को दुर्भागपूर्ण बताया और केंद्र द्वारा किए गए वादों पर उठाए सवाल। बताते हैं कि सोनम वांगचुक को शाम को लद्दाख पुलिस ने गिरफ्तार किया। गृह मंत्रालय ने वहां हिंसा के लिए सोनम वांगचुक को जिम्मेदार ठहराया है। वांगचुक लेह एपेक्स बॉडी के प्रमुख सदस्यों में से एक हैं। कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के साथ मिलकर राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची लागू करने की मांग को लेकर पिछले पांच वर्षों से आंदोलन कर रहे हैं। कई बार अनशन और भूख हड़ताल किया। लेकिन उनकी मांगों के प्रति सरकार गंभीर नही हुई। 

उधर, एक दिन पहले हुई हिंसा के बाद सोनम वांगचुक ने उन पर लगाये जा रहे आरोपों से इनकार किया था। हिंसा की निंदा करते हुए 15 दिन से जारी अनशन समाप्त कर दिया था। बता दें कि वांगचुक को सरकार ने ‘भड़काऊ बयान’ देने के लिए दोषी ठहराया था। इसके बाद लद्दाख में हिंसा भड़क गई थी। अधिकारियों के मुताबिक, वांगचुक की अगुवाई में लद्दाख राज्य का आंदोलन बुधवार को लेह में हिंसा, आगजनी और हिंसा में बदल गया। भीड़ ने बीजेपी कार्यालय समेत कई भवनों और सुरक्षा बलों के वाहनों को आग के हवाले कर दिया था। इसमें चार लोगों की मौत हो गई और 40 पुलिसकर्मियों सहित 80 लोग घायल हो गए। 

इधर, जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने सरकार के आरोपों को खारिज किया और कहाकि लद्दाख में हिंसक विरोध प्रदर्शनों के लिए गृह मंत्रालय द्वारा उन्हें ‘बलि का बकरा’ बनाने की रणनीति है। इसका उद्देश्य हिमालयी क्षेत्र की मूल समस्याओं से निपटने से बचना है। यह कहना कि हिंसा मेरे या कांग्रेस द्वारा भड़काई गई थी, समस्या के मूल से निपटने के बजाय बलि का बकरा ढूंढ़ने जैसा है। इससे कोई हल नहीं निकलेगा। किसी को बलि का बकरा बनाने की चालाकी की जा सकती है लेकिन इस समय हम सभी को ‘चतुराई’ की बजाय बुद्धिमत्ता की आवश्यकता है। क्योंकि युवा पहले से ही निराश हैं।

उन्होंने यह भी कहाकि कुछ ऐसा मामला बनाया जा रहा है कि मुझे जन सुरक्षा अधिनियम के तहत गिरफ्तार कर दो साल के लिए जेल में डाल सकें। मैं इसके लिए तैयार हूं। हालांकि उन्होंने यह भी कहाकि सोनम वांगचुक को आजाद रखने के बजाय जेल में डालने से समस्याएं और बढ़ सकती हैं। उधर, कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) ने लद्दाख के लेह शहर में प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच हुई झड़पों की निष्पक्ष जांच की मांग की और केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन से लोगों को निशाना बनाने एवं उनका उत्पीड़न बंद करने को कहा है। केडीए ने जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक का बचाव किया। संगठन ने हिंसा में मारे गए चार प्रदर्शनकारियों के परिवारों के प्रति सहानुभूति व्यक्त करते हुए उन्हें लद्दाख का नायक’ बताया।

आपको यह भी बता दें कि ‘लेह एपेक्स बॉडी’ और केडीए पिछले चार वर्षों से लद्दाख को राज्य का दर्जा देने सहित अपनी मांगों के समर्थन में संयुक्त रूप से आंदोलन चला रहे हैं और अतीत में सरकार के साथ कई दौर की वार्ता भी कर चुके हैं। लद्दाख के सांसद हनीफा जान और प्रमुख नेता सज्जाद कारगिली सहित केडीए के अन्य वरिष्ठ सदस्यों के साथ मौजूद करबलाई ने कहा कि जो कुछ भी हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण था, लेकिन सरकार ने जिस तरह से हालात को संभाला हमारे घावों पर नमक छिड़कने जैसा था। इन घटनाओं के लिए केंद्रशासित प्रदेश प्रशासन और गृह मंत्रालय समान रूप से जिम्मेदार हैं।