जस्टिस गवई आज सम्भालेंगे 52वें मुख्य न्यायाधीश का कार्यभार
सीजेआई की कुर्सी पर बैठने वाले वे अनुसूचित जाति के दूसरे व्यक्ति
जस्टिस गवई ने माना था-उचित प्रक्रिया का पालन किए बगैर संपत्तियों पर बुलडोजर चलाना रूल ऑफ लॉ के खिलाफ
23 नवम्बर 2025 को खत्म होगा जस्टिस गवई का कार्यकाल
नई दिल्ली। जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई बुधवार को देश के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे। सुप्रीम कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश की कुर्सी पर बैठने वाले वे अनुसूचित जाति के दूसरे व्यक्ति और पहले बौद्ध होंगे। जस्टिस गवई के पिता रामकृष्ण सूर्यभान गवई उन लोगों में शामिल थे, जिन्होंने डॉक्टर बीआर आंबेडकर के साथ बौद्ध धर्म अपनाया था। जस्टिस गवई का कार्यकाल 23 नवम्बर 2025 को खत्म होगा। खास बात यह कि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का पदभार ग्रहण करने के अगले ही दिन उन्हें वक्फ कानून में हुए संशोधनों को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई शुरू करनी होगी।
अब तक अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग से केवल सात जज हुए
संविधान को सर्वोच्च बताने वाले जस्टिस गवई पहले भी बता चुके हैं कि सकारात्मक पहल ने उनकी पहचान को आकार दिया है। यह डॉक्टर बीआर आंबेडकर के प्रयासों का नतीजा है कि मेरे जैसा व्यक्ति, जो एक झुग्गी बस्ती के नगरपालिका के स्कूल पढ़कर इस पद तक पहुंच सका। उनसे पहले अनुसूचित जाति के जस्टिस केजी बालाकृष्णन 2007 में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने थे और वह तीन साल तक इस पद पर रहे। सुप्रीम कोर्ट की स्थापना के बाद से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग से केवल सात जज ही हुए हैं।
न्यूजक्लिक, राहुल गांधी, सिसौदिया जैसे मामलों में शामिल थे
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस गवई ने कई अहम फैसले सुनाए। इनमें न्यूज वेबसाइट न्यूजक्लिक के संस्थापक संपादक प्रबीर पुरकायस्थ और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से जुड़े मामले शामिल हैं। जस्टिस गवई के नेतृत्व वाले पीठ ने गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और धन शोधन निवारण अधिनियम जैसे कानूनों में मनमानी गिरफ्तारी पर फैसले सुनाए। जस्टिस गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने नवंबर 2024 में यह माना था कि उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना लोगों की संपत्तियों पर बुलडोजर चलाना रूल ऑफ लॉ के खिलाफ है। जस्टिस गवई कांग्रेस नेता राहुल गांधी को आपराधिक मानहानी के एक मामले में सजा को स्थगित करने वाले बेंच में भी शामिल थे। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ही राहुल गांधी की लोकसभा की सदस्यता बहाल हुई थी।
महाराष्ट्र के दिग्गज नेता थे पिता रामाकृष्ण सूर्यभान गवई
जस्टिस गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ। वह तीन भाइयों में बड़े हैं। जस्टिस गवई के पिता रामाकृष्ण सूर्यभान गवई महाराष्ट्र के दिग्गज नेता थे। इस दौरान वह विधान परिषद के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और विपक्ष के नेता रहे। वर्ष 1998 में अमरावती से 12वीं लोकसभा के लिए चुने गए थे। फिर अप्रैल 2000 से अप्रैल 2006 तक महाराष्ट्र राज्य से राज्यसभा के लिए चुने गए थे। मनमोहन सिंह की सरकार ने जून 2006 में उन्हें बिहार का राज्यपाल बनाया था। बिहार के अलावा वह सिक्किम और केरल के राज्यपाल रहे।
संविधान सर्वोच्च है-सीजेआई गवई
आपको बता दें कि तीन दिन पहले रविवार को जस्टिस बीआर गवई ने प्रेस कांफेंस की थी और स्पष्ट रूप से कहा था कि अगर कोई अदालत की गरिमा को ठेस पहुंचाता है तो कोई समझौता नहीं किया जाएगा। भारत के मनोनीत मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की सुप्रीम कोर्ट और मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना के खिलाफ की गई टिप्पणियों पर “कुछ अन्य न्यायाधीशों का दृष्टिकोण अलग होता“ मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई का मानना है कि सोशल मीडिया पर न्यायालय को बदनाम करने वाले और न्यायाधीशों पर व्यक्तिगत हमले करने वाले ट्रोल्स से सख्ती से निपटा जाना चाहिए। राजनेताओं और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के बयानों के बारे में पूछे गए सवालों के जवाब में कि संसद सर्वोच्च है, उन्होंने कहाकि संविधान सर्वोच्च है। केशवानंद भारती मामले में 13 न्यायाधीशों की पीठ के फैसले में भी यही कहा गया है।
उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को संयम बरतना चाहिए
अपने आवास पर बातचीत के लिए आमंत्रित मीडियाकर्मियों के सामने औपचारिक पोशाक पहने न्यायमूर्ति गवई ने अपनी बात रखी। उन्होंने कहाकि “इस बारे में मेरी कोई दूसरी राय नहीं है। अगर यह अदालत की गरिमा को ठेस पहुंचाने का मामला है, तो कोई समझौता नहीं है। कहा कि ऐसे समय आते हैं जब कार्यपालिका को ऐसी परिस्थितियों में न्यायपालिका का समर्थन करना पड़ता है। न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को संयम बरतना चाहिए और न्यायालय के अंदर और बाहर अप्रिय या अप्रिय टिप्पणी से बचना चाहिए। उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के लिए समय-समय पर प्रशिक्षण निश्चित रूप से न्यायिक आचरण में आने वाली खामियों को दूर करेगा। उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों के लिए विचाराधीन मुद्दों पर बोलना बिल्कुल उचित नहीं है।
देश खतरे में हो तो जज अलग-थलग नहीं रह सकते
जस्टिस गवई ने कहा कि आने वाले दिनों में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम सुप्रीम कोर्ट बेंच में महिला जजों की सिफारिश करने पर फैसला लेगा। उन्होंने कहाकि कॉलेजियम को इस पर फैसला लेना होगा। जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी 9 जून को सुप्रीम कोर्ट बेंच से रिटायर हो रही हैं। इसके बाद जस्टिस बीवी नागरत्ना शीर्ष अदालत में सेवारत एकमात्र महिला जज रह जाएंगी। न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यकाल समाप्त होने के बाद कोई भी नौकरी स्वीकार नहीं करेंगे। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई ने बताया कि जब देश खतरे में हो तो जज अलग-थलग नहीं रह सकते। हम देश का हिस्सा हैं। जब हमने पहलगाम आतंकी घटना के बारे में सुना तो स्तब्ध रह गए। उस समय मुख्य न्यायाधीश खन्ना विदेश में थे। उनसे अनुमति लेने के बाद पूर्ण न्यायालय बुलाया और हमले के पीड़ितों को श्रद्धांजलि देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में दो मिनट का मौन रखने की घोषणा की थी।