Gold-Silver Price Today: सोना–चांदी की कीमतों में तेजी जारी, कमजोर डॉलर और फेड के रुख से बढ़ी चमक
एमसीएक्स पर गोल्ड 1,26,905 रुपये और सिल्वर 1,64,805 रुपये पर ट्रेड; दिसंबर में दर कटौती की उम्मीदों में कमी
नई दिल्ली। घरेलू वायदा बाजार में शुक्रवार, 14 नवंबर को सोने और चांदी की कीमतों में लगातार बढ़त देखने को मिली। अंतरराष्ट्रीय बाजार में अमेरिकी डॉलर की कमजोरी और फेडरल रिजर्व की संभावित नीति को लेकर बने माहौल का असर भारतीय बाजारों पर भी स्पष्ट दिखाई दे रहा है।
क्या हैं ताज़ा भाव?
आज सुबह करीब 9:15 बजे,
- एमसीएक्स गोल्ड दिसंबर कॉन्ट्रैक्ट 0.12% की बढ़त के साथ ₹1,26,905 प्रति 10 ग्राम पर ट्रेड कर रहा था।
- वहीं एमसीएक्स सिल्वर दिसंबर फ्यूचर्स 0.21% की तेजी के साथ ₹1,64,805 प्रति किलो पर पहुंच गए।
कीमती धातुओं में यह तेजी लगातार दूसरे सप्ताह बनी हुई है।
क्यों बढ़ रहे हैं सोना-चांदी के दाम?
अमेरिकी डॉलर इंडेक्स लगातार दूसरे सप्ताह कमजोरी की तरफ बढ़ रहा है। डॉलर की गिरावट से अन्य मुद्रा वाले निवेशकों के लिए सोना खरीदना सस्ता हो जाता है, जिससे कीमतें ऊपर जाती हैं।
दूसरी ओर, अमेरिका में बढ़ती महंगाई, श्रम बाजार में सुधार के संकेत और फेडरल रिजर्व के अधिकारियों के बयान संकेत देते हैं कि दिसंबर में ब्याज दरों में कटौती की संभावना कम हो गई है। यह भी गोल्ड की कीमतों को सपोर्ट दे रहा है।
फेडरल रिजर्व की रणनीति क्या है?
पिछले महीने फेड ने ब्याज दरों में 0.25% की कटौती की थी, लेकिन चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने आगे की कटौती के बारे में स्पष्ट संकेत नहीं दिया।
उन्होंने कहा कि नीति में ढील देने के लिए अभी पर्याप्त आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं।
CME FedWatch Tool के अनुसार—
दिसंबर में दर कटौती की संभावना 64% से घटकर अब 51% रह गई है।
आगे क्या होगा?
रिलायंस सिक्योरिटीज के वरिष्ठ रिसर्च एनालिस्ट जिगर त्रिवेदी के मुताबिक, बाजारों ने दिसंबर में फेड की दर कटौती की उम्मीदों को काफी कम कर दिया है।
- अब 0.25% की कटौती की लगभग 50% संभावना है, जबकि एक महीने पहले यह 95% से ज्यादा थी।
उन्होंने कहा कि वैश्विक ट्रेंड के आधार पर एमसीएक्स गोल्ड दिसंबर एक्सपायरी 1,27,000 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच सकता है।
निवेशकों के लिए संकेत
विशेषज्ञों का कहना है कि डॉलर की कमजोरी, भू-राजनीतिक तनाव और फेड की नीति- इन तीनों फैक्टर्स की वजह से सोना आने वाले दिनों में और मजबूत रह सकता है।
हालांकि, फेड की अगली मीटिंग कीमतों की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।