वाराणसी के व्यापारियों को 7 करोड़ से अधिक का लगाया चूना, हरियाणा से जालसाज शरद भार्गव गिरफ्तार
जिले के चार थाना क्षेत्र में दर्ज हैं पांच मुकदमे, पत्नी भी है इस संगठित गिरोह में शामिल
लंका थाना क्षेत्र के विनायका रेजीडेंसी में रहता था, अब सोनीपत के आलीशान फ्लैट में उड़ा रहा था मौज
डीसीपी गौरव वंशवाल ने आरोपित को किया मीडिया के सामने पेश, बताये गिरोह के करतूत
वाराणसी, भदैनी मिरर। वाराणसी के बड़े व्यापारियों को सात करोड़ रूपये से अधिक का चूना लगाकर जालसाज शरद भार्गव हरियाणा के सोनीपत में आलीशान फ्लैट में मौज कर रहा था। जिले के चार थानों में उसके खिलाफ पांच मुकदमे दर्ज हैं। लंका पुलिस ने मुखबिर और सर्विलांस की सहायता से इस जालसाज को लोकेशन पता किया और शनिवार को सोनीपत से उसे गिरफ्तार कर ले आई। डीसीपी काशी जोन गौरव वंशवाल ने रविवार को जालसाज शरद भार्गव को मीडिया के सामने पेश कर उसकी करतूतों का खुलासा किया।
डीसीपी ने बताया कि शरद का संगठित गिरोह है। यह गिरोह बड़े व्यापारियों को तरह-तरह से मुनाफे दिलाने के नाम पर उनसे नकद या कीमती सामान लेकर हड़प लेता था। मुकदमे दर्ज होने के बाद वह स्टे ले लेता था। वित्तीय धोखाधड़ी गिरोह के इस सरगना को पुलिस को कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेज दिया। डीसीपी ने बताया कि शरद के खिलाफ पिछले दिनों लंका पुलिस ने धारा 316(5)/318(4)/111(2) (ख) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। इससे पहले शहर के चेतगंज, चौक और कोतवाली थानों में इसके खिलाफ मुकदमे दर्ज हैं। हालांकि शरद भार्गव लंका थाना क्षेत्र के विनायका रेजीडेंसी के फ्लैट नं० 903 में रहता है। लेकिन करोड़ों की धोखाधड़ी के बाद हरियाणा के सोनीपत में आलीशान फ्लैट लेकर चैन की बंशी बजा रहा था। इधर, धोखाधड़ी के शिकार उसकी तलाश कर रहे थे।
हालिया मामले में लंका पुलिस को शुक्रवार को डाक पेशी पैड से आशीष कुमार अग्रवाल का प्रार्थना पत्र मिला। इसमें शिकायतकर्ता ने जानकारी दी कि शरद भार्गव और उसकी पत्नी ऋचा भार्गव ने व्यापार करने के उद्देश्य से उनसे 1 करोड़ 30 लाख रूपये लिए। भारी मुनाफे का प्रलोभन दिया। लेकिन कोई मुनाफा नही मिला तो भुक्तभोगी ने अपना मूल धन वापस करने के लिए दबाव बनाया। कई बार तगादा करने पर दम्पती ने 45 लाख रूपये दिये और 85 लाख रूपये हड़प लिये। डीसीपी ने बताया कि जालसाज शरद के खिलाफ लंका थाने में दर्ज इस मुकदमे के अलावा वर्ष 2024 में चेतगंज, चौक और कोतवाली थानों में मुकदमे दर्ज हुए थे। गिरोह बड़े व्यापारियों को निशाना बनाता था। अच्छी कीमत पर प्रापर्टी दिलाने या ज्यादा मुनाफे वाले कारोबार के नाम पर गिरोह शिकार को अपने जाल में फसाता था।