अनिल अंबानी पर संकट गहराया! CBI की चार्जशीट में बड़ा खुलासा, जानें पूरा मामला
CBI ने कहा – अनिल अंबानी और राणा कपूर ने आपसी लाभ के लिए बनाया 'वित्तीय सहयोग नेटवर्क', सार्वजनिक फंड्स के दुरुपयोग और सेबी नियमों के उल्लंघन का आरोप।
नई दिल्ली। रिलायंस एडीए ग्रुप (Reliance ADA Group) के चेयरमैन अनिल अंबानी की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI) ने एक नई चार्जशीट में दावा किया है कि अनिल अंबानी और यस बैंक के सह-संस्थापक राणा कपूर ने मिलकर एक ऐसी "आपसी लाभ आधारित सौदेबाजी" की, जिससे दोनों को आर्थिक रूप से फायदा हुआ और उनके वित्तीय संकट छिपाए जा सके।
CBI ने आरोप लगाया है कि इस समझौते के तहत सार्वजनिक धन का दुरुपयोग करते हुए बार-बार फंड्स को जारी, पुनर्निवेशित और चुकाया गया ताकि दोनों पक्षों की कंपनियों को आर्थिक सहारा मिलता रहे।
चार्जशीट में क्या कहा गया
CBI के अनुसार, एडीए ग्रुप, यस बैंक और रिलायंस निप्पॉन एसेट मैनेजमेंट (RNAM) के बीच यह लेनदेन की श्रृंखला इस तरह रची गई थी जिससे सेबी (SEBI) के म्यूचुअल फंड नियमों को दरकिनार किया जा सके। सेबी के नियमों के मुताबिक, म्यूचुअल फंड अपने समूह या संबद्ध कंपनियों में निजी प्लेसमेंट के जरिए निवेश नहीं कर सकते। लेकिन, CBI का कहना है कि इस नियम को चकमा देने के लिए पूरे नेटवर्क को एक वैध निवेश जैसा दिखाया गया।
कैसे हुआ ‘फंड्स का चक्रीय प्रवाह’
एजेंसी ने कहा कि अनिल अंबानी और राणा कपूर ने एक वित्तीय सहयोग प्रणाली तैयार की, जिसमें
- एडीए ग्रुप की कंपनियों को यस बैंक से भारी फंडिंग मिली,
- जबकि यस बैंक को रिलायंस निप्पॉन म्यूचुअल फंड (RNMF) से अपने पूंजी साधनों में निवेश मिला।
इससे दोनों के बीच “धन का चक्रीय प्रवाह” (Circular Flow of Funds) बन गया — जिससे दोनों अपनी वित्तीय स्थिति को मजबूत दिखा सकें।
जय अनमोल अंबानी की भूमिका
CBI ने चार्जशीट में दावा किया है कि अनिल अंबानी के बेटे जय अनमोल अंबानी ने RNMF के निवेश निर्णयों पर सीधा प्रभाव डाला। जबकि उस समय कंपनी शेयर बाजार में लिस्टिंग की तैयारी कर रही थी। CBI के मुताबिक, सेबी के प्रतिबंधों को दरकिनार करने के लिए RNAM के फंड्स को एडीए ग्रुप की कंपनियों में “वैध निवेश” दिखाकर लगाया गया।
संदिग्ध सौदे और RNMF की भूमिका
CBI की जांच में खुलासा हुआ कि मॉर्गन क्रेडिट्स प्राइवेट लिमिटेड (MCPL) — जो कपूर परिवार की प्रमोटर कंपनी है — ने जुलाई 2017 में ₹550 करोड़ के नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर (NCDs) जारी किए। इन NCDs को RNMF को आवंटित किया गया था। उसी समय यस बैंक रिलायंस होम फाइनेंस (RHFL) के ₹250 करोड़ के NCDs बेचने में संघर्ष कर रहा था। RNMF ने इन NCDs को खरीदने की मंजूरी दी — जिससे यस बैंक को अपने जोखिमभरे निवेशों से बाहर निकलने का मौका मिला।
CBI का कहना है कि अनिल अंबानी और राणा कपूर ने 6 अक्टूबर 2017 को मुलाकात कर इस पूरी योजना को अंतिम रूप दिया।
क्या कहती है CBI
CBI ने कहा कि यह पूरा नेटवर्क “आपसी लाभ आधारित फाइनेंशियल अरेंजमेंट” था — जिसमें सार्वजनिक धन का इस्तेमाल निजी कंपनियों के हितों को साधने के लिए किया गया। एजेंसी ने चार्जशीट में कहा है कि इन सौदों से
- सेबी नियमों का उल्लंघन हुआ
- निवेशकों के हितों को नुकसान पहुंचा,
- और दोनों पक्षों ने वित्तीय पारदर्शिता को तोड़ा।