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22 नवम्बर से पहले होंगे बिहार विधानसभा चुनाव-ज्ञानेश कुमार

मुख्य चुनाव आयुक्त ने पटना में की प्रेसवार्ता, कहा-आधार कार्ड नही है नागरिकता का आधार

 

ईवीएम में सभी उम्मीदवारों की फोटो होगी रंगीन, बनेंगे 90 हजार बूथ 

पटना। मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) ज्ञानेश कुमार ने रविवार को पटना में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर घोषणाएं की। कहा कि चुनाव संविधान के अनुसार होगा। साथ ही यह भी साफ कर दिया कि बिहार विधानसभा चुनाव 22 नवम्बर से पहले हांगे। अब सभी उम्मीदवारों की फोटो ईवीएम में रंगीन होगी। 
ज्ञानेश कुमार ने बताया कि बिहार में 243 विधानसभा क्षेत्र हैं। एसटी के लिए 2 और एससी के लिए 38 हैं। बिहार विधानसभा का कार्यकाल 22 नवंबर को समाप्त हो रहा है, इसलिए चुनाव उससे पहले होंगे।

बताया कि चुनाव आयोग ने पहली बार बूथ स्तर के अधिकारियों को दिल्ली में प्रशिक्षित किया। एसआईआर 24 जून को शुरू हुआ और समय से पूरा हो गया। सीईसी ने कहा कि बिहार में one stop digital platform लागू कराया जाएगा। चुनाव आयोग की लगभग 40 एप्लीकेशन अब तक बन चुकी हैं। इनको मिलाकर एक कंप्यूटर प्लेटफॉर्म तैयार किया गया है। इसका प्रोग्रेसिव इंप्लीमेंटेशन अभी जारी है। पोलिंग बूथ पर मतदाताओं की संख्या ज्यादा होने पर लाइनें लगती थीं। इसलिए हर मतदान केंद्र पर 1200 से अधिक वोटर नहीं होंगे। यह व्यवस्था बिहार से शुरू होकर पूरे देश में लागू होगी। मतदान की हर गतिविधि पर रियल-टाइम निगरानी के लिए 100 प्रतिशत वेबकास्टिंग हर पोलिंग स्टेशन पर की जाएगी। 

बताया कि ईवीएम में जो बैलेट पेपर ब्लैक एंड वाइट होते हैं। इससे पहचान में दिक्कत होती है। इसलिए इस चुनाव से अब सीरियल नंबर का फॉन्ट और प्रत्याशियों का फोटो कलरफुल होगा। पोस्टल बैलेट की गिनती ईवीएम के दो राउंड के पहले करना होगा। चुनाव खत्म होने के बाद कितने लोगों ने वोट किया, मतदान का प्रतिशत जानने में सहूलियत होगी। बिहार चुनाव के लिए 17 नए इनिशिएटिव्स लिए गए हैं। मतदाताओं को 15 दिन के अंदर वोटर आईडी दिए जाने की व्यवस्था की गई है। बूथ लेवल अफसर की पहचान के लिए बूथ लेवल अधिकारी को फोटो आईडी कार्ड दिये जाएंगे। कहाकि 22 साल बाद वोटर लिस्ट सही किया गया। बिहार पूरे देश को राह दिखाने जा रहा है। वोटर स्लिप पर अब सारी जानकारी मिलेगी। ज्ञानेश कुमार ने कहा कि बिहार से शुरू होने वाली कुछ पहलों में सबसे पहले ट्रेनिंग शामिल है। बूथ लेवल एजेंट की पहली बार चुनाव आयोग ने ट्रेनिंग दिल्ली में कराई। बूथ लेवल अफसरों की आईआईआईडीईएम में ट्रेनिंग कराई गई। अबतक देशभर के लगभग 700 बूथ लेवल अफसर और सुपरवाइजर की ट्रेनिंग पूरी की जा चुकी है। कहाकि साधारण तौर से पुलिस अफसरों की ट्रेनिंग जिला या राज्य में ही होती थी। इस बार मानक के तौर पर इनकी दिल्ली में भी ट्रेनिंग शुरू की गई। 

बूथ के कमरे के बाहर मोबाइल जमा करना होगा

ज्ञानेश कुमार ने बिहार में वोटर पुनरीक्षण के कार्य को पूरा करने वाले 90 हजार से अधिक बीएलओ का आभार जताया। कहा कि मतदाता को बूथ के कमरे के बाहर मोबाइल जमा करना होगा। वोट देने के बाद मोबाइल ले सकते हैं। पिछले साल ही यह व्यवस्था शुरू हुई है। पोलिंग बूथ के 100 मीटर की दूरी पर प्रत्याशी अपना बूथ लगा सकते हैं। बिहार समेत हर जगहों पर अब 100 प्रतिशत वेबकास्टिंग की जाएगी। 

बिहार में कुल 90 हजार बूथ रहेंगे

उन्होंने कहा कि बिहार में कुल 90 हजार बूथ रहेंगे। इस बार किसी भी बूथ पर 1,200 से ज्यादा वोटरों का नाम नहीं रहेगा। इससे वोटिंग में सहूलियत होगी। आम तौर पर 1,500 या उससे अधिक मतदाता होने पर लंबी लाइन लग जाती थी। अब इसे रोका जा सकता है। ज्ञानेश कुमार ने बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की कवायद के पूरा होने पर संतोष जताया। उन्होंने दावा किया कि इस कवायद से राज्य में 22 वर्षों के बाद मतदाता सूची का ‘शुद्धीकरण’ हुआ है। हमारे पास 243 निर्वाचन क्षेत्रों में से प्रत्येक में एक ईआरओ (निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी) है। 

काटे गए नामों की लिस्ट हर पार्टी के राजनीतिक प्रतिनिधियों को दी गई

उन्होंने कहाकि जहां वोटर कार्ड में एंट्री में बदलाव करना हैं, जैसे विवाह के बाद महिलाओं के नाम बदलना या जगह बदलना। इस तरह के केस में नए वोटर कार्ड जारी होंगे। जेल के अपराधियों के लिए संविधान का अनुच्छेद 326 यह कहता है कि संसद द्वारा पारित कानून के तहत अगर कोई भी अपराधी जिसकी लिमिट कानून द्वारा निर्धारित होती है, उसमें छोटा अपराध है तो चुनाव लड़ सकते हैं, बड़ा अपराध है तो चुनाव नहीं लड़ सकते। इसी आधार पर चुनाव आयोग उनकी पात्रता निर्धारित करता है। काटे गए नामों की लिस्ट डीएम के स्तर पर हर पार्टी के राजनीतिक प्रतिनिधियों को दी गई। इसमें अगर कोई आपत्ति है तो इसे शुद्ध करवा सकते हैं। अब यह राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी का विषय। लेकिन ज्ञानेश कुमार ने यह कहाकि आधार के साथ पात्रता के लिए तय किए गए बाकी दस्तावेज भी जरूरी हैं। कहाकि बिहार में कितने चरण में चुनाव होंगे, आयोग इस पर जल्द ही निर्णय लेगा। 

आधार पर कहा वह नही है नागरिकता का प्रमाण

वहीं आधार पर कहा- आधार कार्ड आधार एक्ट के तहत न तो जहां आप रहते हैं उसका प्रमाण होता है और न ही नागरिकता का प्रमाण है। अगर किसी ने भी 2023 के बाद आधार बनवाया हो या 2023 के बाद डाउनलोड किया हो तो माननीय सुप्रीम कोर्ट भी कहता है कि आधार जन्मतिथि का प्रमाण है। आधार न तो जन्मतिथि का प्रमाण माना जा सकता है, न नागरिकता और न ही रहने की जगह का। हम सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए आधार कार्ड ले रहे हैं। बिहार में हर जिले में उम्मीदवारों के खर्च के हिसाब के लिए एक्सपेंडिचर ऑब्जर्वर की नियुक्ति, आपराधिक रिकॉर्ड के मामले में कोई छोटा बड़ा नहीं, हर ऐसे प्रत्याशी को अपना क्रिमिनल रिकॉर्ड बताना अनिवार्य है। उन्होंने मतदाता सूची में गड़बड़ियों क शिकायत के जवाब में कहाकि जब हमारे बीएलओ घर-घर जाकर फॉर्म भरवा रहे थे तो सभी राजनीति दलों, सभी बूथ लेवल एजेंट्स को अपने दावे और आपत्ति देने की स्वतंत्रता थी। यह कार्य 1 सितंबर को पूर्ण हुआ। इसके लिए अखबारों तक में विज्ञापन दिए गए। इसमें न तो बहुत अधिक दावे आए और न आपत्तियां आईं। अभी भी समय है। अगर किसी भी पार्टी को लगता है कि कोई योग्य वोटर छूट गया है या लिस्ट में कोई अयोग्य मतदाता है तो अभी भी वो दावे या आपत्तियां दे सकते हैं। प्रत्याशी पोलिंग बूथों पर अपने पोलिंग एजेंट्स को जरूर नामित करें। फॉर्म 17 सी में टोटल वोट को एजेंट्स जरूर देखें। मॉक पोल भी देखें।