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पूर्व सांसद बाहुबली धनंजय सिंह को बड़ी राहत, गैंगस्टर एक्ट के केस से बरी - अदालत ने सुनाया फैसला

एमपी-एमएलए विशेष अदालत ने धनंजय सिंह समेत तीन आरोपियों को गैंगस्टर एक्ट से किया दोषमुक्त, 15 साल पुराने बेलाव दोहरे हत्याकांड से पहले ही हो चुके हैं बरी।
 

 

डिजिटल डेस्क, जौनपुर। यूपी की सियासत में चर्चित नाम पूर्व सांसद बाहुबली धनंजय सिंह को एक और बड़ी राहत मिली है। जौनपुर की एमपी-एमएलए विशेष अदालत ने शुक्रवार को उन्हें गैंगस्टर एक्ट के मामले में दोषमुक्त कर दिया है।

अपर सत्र न्यायाधीश चतुर्थ सारिक सिद्दीकी की अदालत ने यह फैसला सुनाते हुए धनंजय सिंह समेत आशुतोष जमैथा और पुनीत सिंह को भी गैंगस्टर एक्ट से बरी कर दिया।

 बेलाव दोहरे हत्याकांड से जुड़ा था मामला

यह मामला 15 साल पुराने जफराबाद थाना क्षेत्र के बेलाव घाट में हुए बहुचर्चित दोहरे हत्याकांड से जुड़ा है। वर्ष 2010 में ठेकेदारी विवाद के चलते संजय निषाद और नंदलाल निषाद की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

इस घटना में धनंजय सिंह समेत तीन लोगों को आरोपी बनाया गया था। इसके बाद उन पर गैंगस्टर एक्ट लगाया गया था। हालांकि, इस हत्याकांड में धनंजय सिंह को पहले ही अदालत ने बरी कर दिया था, और अब गैंगस्टर एक्ट से भी उन्हें राहत मिल गई है।


अदालत ने कहा-पर्याप्त साक्ष्य नहीं मिले

विशेष अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य आरोप साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं थे। इसलिए अदालत ने तीनों आरोपियों को गैंगस्टर एक्ट से दोषमुक्त कर दिया।

पूर्व सांसद धनंजय सिंह का नाम पूर्व में कई चर्चित मामलों में जुड़ चुका है, लेकिन वे ज्यादातर मामलों में अदालत से बरी होते रहे हैं। राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र में उनकी मजबूत पकड़ के चलते वे जौनपुर की सियासत में लगातार सक्रिय बने हुए हैं।


कौन है धनंजय सिंह ?

धनंजय सिंह उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं। वे दो बार विधायक और एक बार सांसद रह चुके हैं। मार्च 2024 में उन्हें अपहरण और जबरन वसूली के मामले में सात साल की सजा सुनाई गई थी।
16 जुलाई 1975 को जौनपुर के एक चंदेल राजपूत परिवार में जन्मे धनंजय सिंह ने लखनऊ विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातक किया। छात्र राजनीति से शुरुआत करने वाले धनंजय ने 1990 के दशक में सक्रिय राजनीति में कदम रखा।
2002 में वे रारी (अब मल्हनी) विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक बने और 2007 में जनता दल (यूनाइटेड) के टिकट पर दोबारा चुने गए। 2009 में वे बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से सांसद निर्वाचित हुए।

राजनीतिक जीवन के साथ-साथ उन पर कई बार आपराधिक मामले भी दर्ज हुए, जिनमें गैंगस्टर एक्ट के आरोप शामिल रहे। इसके बावजूद वे पूर्वांचल की राजनीति में एक प्रभावशाली नेता माने जाते हैं।