{"vars":{"id": "125128:4947"}}

नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की को PM मोदी ने दी बधाई, BHU और वाराणसी से है खास कनेक्शन!

नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश रह चुकीं सुशीला कार्की ने अंतरिम प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। वाराणसी से गहरा नाता, बीएचयू से की राजनीति शास्त्र में परास्नातक की पढ़ाई।

 

दिल्ली। नेपाल में राजनीतिक उथल-पुथल के बीच देश को पहली अंतरिम महिला प्रधानमंत्री मिल गई हैं। नेपाल की पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की ने शुक्रवार रात करीब 9:30 बजे प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। राष्ट्रपति रामचंद्र पोडेल ने उन्हें शीतल निवास में आयोजित समारोह में प्रधानमंत्री पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई।

इस अवसर पर तीन अन्य मंत्रियों—कुलमान घिसिंग, ओमप्रकाश अर्याल और बालेन्द्र शर्मा—ने भी शपथ ग्रहण किया। हालांकि, चर्चा में रहे जेन जेड आंदोलन से जुड़े किसी भी चेहरे को मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई है।

पीएम मोदी ने आपके एक्स अकाउंट पर लिखा कि- नेपाल की अंतरिम सरकार की प्रधानमंत्री के रूप में पद ग्रहण करने पर माननीय सुशीला कार्की जी को हार्दिक शुभकामनाएं। नेपाल के भाई-बहनों की शांति, प्रगति और समृद्धि के लिए भारत पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।


 काशी से रहा गहरा नाता

नेपाल की राजनीति में नया अध्याय लिखने वाली सुशीला कार्की का वाराणसी और बीएचयू से गहरा रिश्ता है। उन्होंने वर्ष 1975 में काशी हिंदू विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में परास्नातक की डिग्री हासिल की थी। छात्र जीवन में ही उनकी मुलाकात दुर्गा प्रसाद सुबेदी से हुई थी, जिनसे बाद में उन्होंने विवाह किया।

सुशीला कार्की का जन्म विराटनगर के कार्की परिवार में हुआ। वह अपने माता-पिता की सात संतानों में सबसे बड़ी संतान हैं। उन्होंने 1972 में महेंद्र मोरंग परिसर, विराटनगर से कला स्नातक (बीए) पूरा किया और इसके बाद काशी आईं। 1975 में बीएचयू से मास्टर्स करने के बाद वह नेपाल लौटीं और 1978 में त्रिभुवन विश्वविद्यालय से कानून में स्नातक की उपाधि हासिल की।

इसके बाद वह नेपाल में विभिन्न पदों पर कार्यरत रहीं और न्यायपालिका में अपनी अलग पहचान बनाई। 2016 में नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनने का गौरव भी उन्हें मिला।

लोकप्रिय महिला नेतृत्व

सुशीला कार्की अपने कठोर लेकिन निष्पक्ष निर्णयों के लिए जानी जाती हैं। महिला सशक्तिकरण की प्रतीक मानी जाने वाली कार्की युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय हैं। अब अंतरिम प्रधानमंत्री के तौर पर उनके सामने राजनीतिक स्थिरता लाने और जन-आकांक्षाओं पर खरा उतरने की चुनौती है।