नही रहे डीएनए की डबल हेलिक्स संरचना के खोजकर्ता जेम्स वॉटसन, बेचना पड़ा था नोबेल मेडल
1962 में मिला था नोबेल पुरस्कार, डीएनए की गुत्थी सुलझाने वाले वैज्ञानिक के निधन से विज्ञान जगत में शोक
नीलाम करना पड़ा था मेडल, फिर खरीददार ने सम्मान से लौटा दिया
नई दिल्ली। नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक जेम्स वॉटसन ने 97 की उम्र में केरल में अंतिम सांस ली और दुनिया को अलविदा कह दिया। वह डीएनए की डबल हेलिक्स संरचना के खोजकर्ता थे। उन्हें 1962 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वॉटसन ने फ्रांसिस क्रिक और मॉरिस विल्किंस के साथ मिलकर आधुनिक जेनेटिक्स की नींव रखी थी। 1962 में जेम्स वॉटसन, फ्रांसिस क्रिक और मॉरिस विल्किंस को संयुक्त रूप से नोबेल पुरस्कार मिला था। लेकिन समय बीतने के साथ वॉटसन के विवादित बयानों ने उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल किया। 2014 में आर्थिक कठिनाइयों और समाज से दूरी के चलते उन्होंने अपना नोबेल मेडल 4.7 मिलियन डॉलर में नीलाम कर दिया। बाद में खरीदार ने वह मेडल उन्हें वापस लौटा दिया।
विज्ञान के क्षेत्र में उनका महत्वपूर्ण योगदान है। उनकी डीएनए की डबल हेलिक्स संरचना की खोज ने दुनिया में जानी गई। इतना ही नहीं जेम्स वॉटसन ने 20वीं सदी के अंत में बायोटेक्नोलॉजी क्रांति की नींव रखी। वह अमेरिका के कोल्ड स्प्रिंग हार्बर लेबोरेटरी (सीएसएचएल) के पूर्व अध्यक्ष रहे। तिरुवनंतपुरम स्थित राजीव गांधी सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी (आरजीसीबी) के वैज्ञानिकों ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। आपको बता दें कि उनकी डीएनए की डबल हेलिक्स संरचना की खोज न सिर्फ चिकित्सा, बल्कि अपराध जांच, वंशावली और नैतिक विज्ञान जैसे क्षेत्रों में भी नई राह खोली।