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अपोलो फर्टिलिटी सेंटर में जागरूकता कार्यक्रम, 47 वर्षों की IVF तकनीक की सफलता पर काटा केक

 

वाराणसी,भदैनी मिरर।  वर्ल्ड IVF दिवस के उपलक्ष्य में अपोलो फर्टिलिटी IVF एंड टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर प्रजनन विशेषज्ञ डॉ. शिवाली त्रिपाठी ने इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) प्रक्रिया की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि यह तकनीक उन दंपतियों के लिए वरदान साबित हो रही है जो प्राकृतिक रूप से संतान सुख से वंचित हैं।

डॉ. त्रिपाठी ने बताया कि IVF एक सहायक प्रजनन तकनीक (ART) है, जिसमें महिला के अंडाशय से अंडाणु निकाले जाते हैं और पुरुष के शुक्राणु के साथ प्रयोगशाला में निषेचित किए जाते हैं। भ्रूण के विकास के बाद उसे महिला के गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया में अंडाशय की उत्तेजना, अंडे संग्रह, निषेचन, भ्रूण विकास और अंततः भ्रूण स्थानांतरण जैसे कई चरण शामिल होते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि 'टेस्ट ट्यूब बेबी' नाम भ्रामक हो सकता है क्योंकि निषेचन वास्तव में पेट्री डिश में किया जाता है।

इस दौरान डॉ. तुसारिका ने भी IVF से संबंधित पुरुष व महिला समस्याओं, उनमें होने वाले हार्मोनल असंतुलन, नली में रुकावट, शुक्राणु की गुणवत्ता आदि के प्रभावों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि अब तक उनके सेंटर से लगभग 80 प्रतिशत दंपति संतुष्ट होकर संतान सुख प्राप्त कर चुके हैं।


कार्यक्रम के दौरान संस्थान ने घोषणा की कि वर्ल्ड IVF डे के अवसर पर 1 जुलाई से 25 जुलाई तक नि:शुल्क परामर्श सेवा उपलब्ध कराई गई, जिससे कई महिला और पुरुषों ने अपनी प्रजनन समस्या के लिए विशेषज्ञ से राय लिए।

इस अवसर पर IVF तकनीक के 47 वर्षों की सफलता को चिह्नित करते हुए डॉक्टरों और उपस्थित लोगों ने केक काटा और IVF के माध्यम से संतान प्राप्ति के प्रति जागरूकता फैलाने का संकल्प लिया।