वाराणसी में विश्व COPD दिवस पर जागरूकता सत्र, विशेषज्ञों ने बताए कारण–लक्षण और बचाव
एपेक्स सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल में फेफड़ों की दीर्घकालिक अवरोधक बीमारी (COPD) पर शिक्षात्मक सत्र; डॉक्टरों ने धूम्रपान, प्रदूषण और धूल-धुएं को बताया मुख्य कारण
वाराणसी। विश्व सीओपीडी दिवस के अवसर पर एपेक्स सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल वाराणसी के श्वसन रोग विभाग, फिजियोथेरेपी एवं पैरामेडिकल संस्थानों के संयुक्त तत्वावधान में फेफड़ों की दीर्घकालिक अवरोधक बीमारी (COPD) पर एक ज्ञानवर्धक सत्र आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता अस्पताल के चेयरमैन प्रो. डॉ. एस.के. सिंह ने की।
इस वर्ष की थीम: “Short of Breath? Think COPD”
कार्यक्रम की शुरुआत एमपीटी फिजियोथेरेपी फैकल्टी डॉ. वैष्णवी** ने की, जिन्होंने इस वर्ष की वैश्विक थीम “Short of Breath? Think COPD” को विस्तार से प्रस्तुत किया।
विशेषज्ञ डॉक्टरों ने बताई बीमारी की जड़ और लक्षण
मुख्य वक्ता के रूप में श्वसन एवं चेस्ट फिजीशियन डॉ. नवीन कुमार और क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ डॉ. आशीष श्रीवास्तव ने सीओपीडी की गंभीरता, कारण और शुरुआती लक्षणों के बारे में जानकारी दी।
उन्होंने समझाया कि यह बीमारी तब होती है जब फेफड़ों में हवा का प्रवाह धीरे–धीरे बाधित होने लगता है। इसके प्रमुख कारण हैं:
- लंबे समय तक धूम्रपान
- वायु प्रदूषण
- धूल और धुएं के निरंतर संपर्क
- पेशेगत जोखिम
मुख्य लक्षण:
- लगातार खांसी
- सांस फूलना
- सीने में जकड़न
- सुबह अधिक बलगम आना
मैनेजमेंट और पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन
क्रिटिकल केयर डिप्लोमा ट्यूटर अर्चना सिंह ने सीओपीडी के मैनेजमेंट और देखभाल को लेकर महत्वपूर्ण सुझाव दिए। एमपीटी फैकल्टी डॉ. सुरभि आर्या ने पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन पर विस्तार से चर्चा की और बताया कि किस तरह विशेष श्वसन व्यायाम, फिजियोथेरेपी और लाइफस्टाइल बदलाव के जरिए मरीज बेहतर जीवन जी सकते हैं।
कार्यक्रम का संचालन
सत्र का संयोजन उप-प्रधानाचार्य डॉ. सौरभ आनंद ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रधानाचार्य प्रो. पुनीत जयसवाल का मार्गदर्शन रहा, जबकि धन्यवाद ज्ञापन स्पोर्ट्स मेडिसिन फैकल्टी डॉ. राजीव तिवारी ने दिया।